पढ़ाई के बाद करियर बनाने के लिए क्या करें, यहां दूर होगी उलझन, एक्सपर्ट ने दिए सुझाव

पढ़ाई को लेकर उलझन हो या कॅरियर में कौन सी राह चुने, ऐसे तमाम सवालों के जवाब इन मामलों के एक्सपर्ट कहे जाने वाले कॅरियर काउंसलर से मिलते हैं। कॅरियर काउंसलर निजी तौर और स्टूडेंट्स के समूह को गाइड करता है। जॉब कैसे ढूंढी जाए। कौनसी स्किल डेवलप करें। कॅरियर में बदलाव के लिए कौन-कौन से कदम उठाएं सहित अन्य जानकारियां कॅरियर काउंसलर देता है।
ये योग्यताएं जरूरी
कॅरियर काउंसलर बनने के लिए 12वीं के बाद सोशल साइंस, साइकोलॉजी, ह्यूमन सर्विसेस या बिहेवियरल साइंस में ग्रेजुएशन अनिवार्य है। यह कैंडिडेट में ह्यूमन डेवलपमेंट, काउंसलिंग स्किल्स और कॅरियर डेवलपमेंट की नींव रखता है। इन विषयों में पीजी करने के बाद काउंसलिंग से जुड़े कई एग्जाम दिए जा सकते हैं। जैसे- नेशनल काउंसलर एग्जामिनेशन, नेशनल क्लीनिकल मेंटल हेल्थ काउंसलिंग एग्जाम। ये परीक्षा स्टूडेंट्स की सोच और उनके नजरिए को समझने की स्किल को बढ़ाने का काम करती हैं।

स्किल होना जरूरी
कॅरियर काउंसलर में कुछ स्किल का होना भी जरूरी है। शिक्षा के क्षेत्र की गहरी जानकारी, सामने वाले शख्स की बात को समझकर उसे दिशा बताने का हुनर और कॅरियर को प्लान करने की सलाह देने का काम भी एक काउंसलर को आना चाहिए। ऐसे कैंडिडेट खुद को कॅरियर काउंसलर, कॅरियर काउंसलर एजुकेटर, कॅरियर सर्विसेज प्रोफाइडर और कॅरियर डेवलपमेंट फैसिलिटेटर के तौर पर काम कर सकते हैं।
जजमेंटल नहीं हों
कॅरियर काउंसलर में स्टूडेंट्स को समझने और उनकी समस्याओं को हल करने की क्षमता होनी चाहिए। किसी को अपनी बात कहने में अधिक समय लग सकता है। ऐसे में उनकी बातों को धैर्य के साथ सुनना भी एक स्किल है। काउंसलर को कभी भी जजमेंटल नहीं होना चाहिए। उसमें हर स्थिति को समझने और उसका समाधान निकालने की क्षमता होनी चाहिए।
कितनी होती है सैलरी
एक बेहतर काउंसलर बनने के लिए पढ़ाई के बाद एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में काउंसलर के तौर पर नौकरी शुरू कर सकते हैं और 30 से 40 हजार रुपए महीने कमा सकते हैं। अनुभव और जानकारी के आधार पर सैलरी में इजाफा होता है। जितने बड़े संस्थान से जुड़ते हैं सैलरी का दायरा भी बढ़ता है।
इस तरह आप भी बन सकते हैं एयरफोर्स के फाइटर पायलट
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सोशल मीडिया से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक, युवाओं में भारतीय वायुसेना के प्रति एक अलग ही उत्साह देखने को मिला है। खासकर फाइटर पायलट बनने का सपना अब और भी अधिक युवाओं को आकर्षित कर रहा है। देशभक्ति, साहस और सम्मान से भरे इस कॅरियर को लेकर युवाओं के मन में एक ही सवाल है,आखिर फाइटर पायलट कैसे बना जाए?’यहां पढ़ें इससे जुड़ी जानकारी।
कहां से होती है शुरुआत
फाइटर पायलट के लिए 10+2 फिजिक्स और मैथ्स के साथ करें। 12वीं के बाद NDA परीक्षा देकर वायुसेना में ऑफिसर बनने की राह पकड़ सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद CDS परीक्षा भी एक और विकल्प है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना खुद साल में दो बारAFCAT (Air Force Common Admission Test) आयोजित करती है, इससे भी आपका चयन हो सकता है।
एनसीसी से एंट्री का विकल्प
अगर आपके पास एनसीसी ‘सी’ सर्टिफिकेट है तो आप एनसीसी स्पेशल एंट्री के जरिए सीधे वायुसेना में जा सकते हैं। लिखित परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवारों को SSB यानी सर्विस सिलेक्शन बोर्ड इंटरव्यू में शामिल होना होता है। इसमें पर्सनैलिटी, निर्णय क्षमता और लीडरशिप स्किल की जांच की जाती है।
फिटनेस और उड़ान क्षमता का टेस्ट: SSB के बाद मेडिकल जांच होती है और साथ ही PABT (Pilot Aptitude Battery Test) लिया जाता है, जिससे आपकी फ्लाइंग क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
यहां होती है ट्रनिंग
इन सभी चरणों में सफल होने के बाद उम्मीदवारों को हैदराबाद की एयर फोर्स एकेडमी में भेजा जाता है। यहां उन्हें बेसिक से लेकर फाइटर जेट उड़ाने तक की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है।