इनोवेशन की नई रोशनी, छत्तीसगढ़ से निकली उजाले की नई राह

रायपुर. मरकरी फ्री एलईडी बनाने की दिशा में प्रो. नमीता ब्रह्मे ने इनोवेशन किया और इसे पेटेंट भी कराया है। एलईडी में फास्फर मटेरियल का उपयोग होता है। इसी फास्फर को नैनो फास्फर में बदलने की तकनीक विकसित करने वाली डॉ. ब्रह्मे कहती हैं कि हम इको-फ्रेंडली, कम लागत और अधिक रोशनी देने वाली एलईडी पर काम कर रहे थे।
उसी दौरान मैंने स्कॉलर तृप्ति रिछारिया के साथ मिलकर नैनो फास्फर बनाने की नई तकनीक विकसित की है। अब प्रोटोटाइप डिवाइस तैयार करने पर काम चल रहा है। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के भौतिक एवं खगोल भौतिकी की विभागाध्यक्ष प्रो. ब्रह्मे के शोध पर दो पेटेंट भी हो चुके हैं। हाल में एलईडी मटेरियल की तकनीक पर भी शोध पत्र प्रकाशित हुआ है। वह विवि के सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी की समन्वयक भी हैं।
कई छात्र जा चुके हैं विदेश
डॉ. नमीता ने छत्तीसगढ़ के विभिन्न महाविद्यालयों के 150 छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण भी दिया है। हर साल विभाग के छात्र-छात्राएं देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रोजेक्ट वर्क के लिए जाते हैं। इस वर्ष भी फिजिक्स ऑफ नैनो मटेरियल स्पेशलाइजेशन एवं सॉलिड स्टेट फिजिक्स स्पेशलाइजेशन के 16 छात्र छात्राओं का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, डीआरडीओ और दो छात्रों का चयन आईआईए बेंगलूरु में हो चुका है।
विभाग की पहली महिला विभागाध्यक्ष प्रो. नमीता विभाग की पहली महिला विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने अपनी पीएचडी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई से किया। अब तक इनके शोध निर्देशन में 20 शोधार्थियों ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है और वर्तमान में सात शोधार्थी इनके साथ शोध भी कर रहे हैं।
140 रिसर्च पेपर हैं इनके नाम
प्रो. नमीता के 140 रिसर्च पेपर अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। वह अमरीका, स्विट्जरलैंड और फ्रांस समेत सात देशों में अपने पेपर प्रजेंट कर चुकी हैं। उन्हें यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, फेलो ऑफ एलएसआई अवॉर्ड और कुलाधिपति द्वारा शिक्षा क्षेत्र में समान मिल चुका है।