वर्दी के साथ पंडवानी में भी महारत.. जानिए RPF पोस्ट प्रभारी तरूणा साहू के बारे में
कॅरियर के साथ हमें अपने पैशन को भी साथ लेकर चलना चाहिए। यही वजह है कि मैं पंडवानी की भी प्रस्तुति देती हूं। जब मैं 9 साल की थी तबसे पंडवानी गा रही हूं। जब वर्दी में रहती हूं तो जनता की सेवा करती हूं और जब पारंपरिक परिधान के साथ पंडवानी गाती हूं तो संस्कृति की सेवा में रहती हूं। यह कहा मंदिर हसौद में आरपीएफ पोस्ट प्रभारी तरूणा साहू का। वे राज्य की एकमात्र वर्दीधारी हैं जो पुलिसिंग के साथ-साथ पंडवानी भी गाती हैं। तरुणा ने बताया, माना नवोदय में मेरी स्कूलिंग हुई, तबसे ही मैं कार्यक्रमों में हिस्सा लेती थी, आज वही सीख काम आ रही है।
तीजन बाई हैं गुरु
तरुणा ने बताया, स्कूल में ऐसे बच्चों की कैंपेनिंग कराई गई जो गा सकते थे। तीजन बाई आईं थीं। मैं एकमात्र छात्रा थी जिसका चयन हुआ था। तीजन दीदी मुझे बहुत चाहती थीं। वे हर साल कैंपनिंग के लिए नवोदय आती थी। मेरा उनसे इमोशनल अटैचमेंट हो गया था। इसलिए मैं उनके घर में भी रहा करती थी। जॉब लगने के बाद मैं यूनिफॉर्म में उनसे मिलने गई तो उन्होने मुझे गले लगा लिया। 2005 में मुझे फोक एंड नेशनल आर्ट में स्कॉलरशिप मिली। छत्तीसगढ़ से मैं एकमात्र प्रतिभागी थी जिसे वह स्कॉलरशिप मिली। मुझे द्रोपदी चीरहरण का प्रसंग पेश करने कहा गया था। जिसे मैंने आसानी से किया।
पहली प्रस्तुति दिल्ली में
दिल्ली में हुए अखिल भारतीय कार्यक्रम में पद्मभूषण तीजन दीदी के साथ पहली प्रस्तुति दी थी। इसके बाद देशभर में कई प्रोग्राम दिए। नई पीढी को संस्कृति से जोड़ने के लिए पंडवानी एक अच्छा माध्यम है। यदि आपके आसपास अच्छा वातावरण रहता है तो आप समाज को अच्छा ही देंगे। मेरे अधिकारियों का सहयोग मुझे आगे बढ़ाता है। मेरे साथ कई सारी महिलाएं जुड़ी है।