लाश दफनाकर लगा दिए थे गोभी का पेड़, बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड के सभी आरोपी दोष मुक्त, पिता बोले- में देंगे चुनौती
शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज भिलाई के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या के सभी आरोपियों के दोषमुक्त होने से अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि अभिषेक की हत्या की पुष्टि हुई थी। गड्ढे में जो सड़ी गली लाश मिली थी, वह भी उसी की थी। पुलिस ने हत्या के लिए जिनको कसूरवार मानकर प्रकरण दर्ज किया था वे तीनों दोषमुक्त हो चुके हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर हत्या किसने की थी? पुलिस ने जिनको आरोपी बनाया था, वे हत्यारे नहीं थे तो उनके साथ बराबर न्याय हुआ। लेकिन इकलौते बेटे की हत्या की पीड़ा झेल रहे परिवार के लिए यह सिर्फ निर्णय है। उनको न्याय तब मिलेगा जब पुलिस हत्यारे को पकड़ेगी और न्यायालय से उसे दंड मिलेगा। यह सवाल भी उठता है कि या तो पुलिस की विवेचना में कमी रह गई होगी या फिर पुलिस असल हत्यारे तक पहुंची ही नहीं।
बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में जब सत्र न्यायालय का फैसला आया तब सबसे अधिक चर्चा में किम्सी कम्बोज (जैन) रही। पुलिस ने उसे मुख्य षडयंत्रकारी बताया था पर न्यायालय से वह दोषमुक्त हो गई। अभियोजन उसके खिलाफ साक्ष्य साबित करने में सफल नहीं हुआ। अधिवक्ता उमा भारती साहू ने उन बिंदुओं पर रोशनी डाली जिसके कारण किम्सी निर्दोष साबित हुई।
उन्होंनेे बताया कि न्यायालय ने आदेश में स्पष्ट किया था कि प्रकरण परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर आधारित है और बिन्दुवार 12 परिस्थितियों को रेखांकित किया गया था। इन 12 बिन्दुओं पर 34 साक्षियों का साक्ष्य अभियोजन ने न्यायालय मे प्रस्तुत किया था। किम्सी जैन के विरूद्ध कोई भी साक्ष्य प्रमाणित नहीं हुआ था। किम्सी के खिलाफ सीडीआर के अलावा अभियोजन ने कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया था।
कॉल डेटा रिकार्ड पर आधारित थी पुलिस की जांच
अधिवक्ता उमा भारती ने बताया कि पूरा केस कॉल डेटा रिकार्ड पर आधारित था। मोबाइल का सीडीआर यह बताता है कि उक्तमोबाइल नंबर से कितनी बार और किस-किस नंबर पर फोन किया है, लेकिन क्या बातचीत हुई यह नहीं बताता है।
किम्सी जैन और अभिषेक मिश्रा के मध्य घटना दिनांक व उसके पूर्व हुई बातचीत टेनिस टूर्नामेंट लीग के स्पांशरशिप ढूंढने के लिए होती थी। जिससे संबंधित मेल जो किम्सी द्वारा अन्य लोगों व कंपनियों को एवं अभिषेक मिश्रा के द्वारा किम्सी को भेजा गया था, उसे बचाव साक्ष्य के रुप में प्रस्तुत किया था। जिसे न्यायालय ने प्रमुखता से लेते हुए किम्सी के खिलाफ आरोपों एवं षड़यंत्र को निराधार माना था।
पुलिस की जांच की यह थ्योरी
पुलिस की विवेचना में यह बात सामने आई थी कि किम्सी जैन, अभिषेक मिश्रा के कॉलेज में काम करती थी। इसी दौरान दोनों करीब आए। वर्ष 2013 में किम्सी ने इंजीनियर विकास जैन से शादी कर ली और कॉलेज की नौकरी छोड़ दी। लेकिन अभिषेक चाहता था कि उनका रिश्ता कायम रहे। वह इसके लिए लगातार किम्सी पर दबाव डाल रहा था। इससे परेशान होकर किम्सी ने पूरी बात अपने पति विकास को बताई। विकास के मन में बदला लेने की भावना आई। इसके बाद किम्सी, विकास और किम्सी के चाचा अजीत सिंह ने हत्या की साजिश रची। पुलिस थ्योरी के अनुसार अभिषेक को किम्सी ने चौहान टाउन स्थित अपने घर पर बुलाया। घर पहुंचने के बाद किम्सी और अभिषेक के बीच विवाद हुआ। वहां पहले से मौजूद विकास और अजीत ने अभिषेक के सिर पर पीछे से रॉड से वार किया जिससे वह वहीं गिर गया। फिर अभिषेक को अजीत सिंह के स्मृति नगर स्थित किराए के मकान में ले जाकर पहले से किए गड़्ढे मे ंदफन कर दिया। गड्ढे को पाटकर उसमे ंफूलभोगी उगा दिया। अभिषेक 10 नवंबर से लापता था। 45 दिन बाद उसकी लाश अजीत सिंह के मकान में गड्ढे में मिली थी।
44 दिन बाद मिली थी लाश
पुलिस की जांच के अनुसार एक नजर अभिषेक हत्याकांड पर
7 नवंबर 2015 को शंकरा ग्रुप के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा की हत्या करने का षड्यंत्र रचा गया।
9 नवंबर 2015 को अभिषेक मिश्रा को स्मृतिनगर बुलाकर हत्या की गई।
10 नवंबर 2015 को दुर्ग के जेवरा चौकी में गुमशुदगी दर्ज।
22 दिसंबर 2015 को पुलिस ने संदेह के आधार पर विकास जैन व अजीत सिंह को हिरासत में लिया। पूछताछ में अपराध कबूला।
23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने स्मृति नगर से शव बरामद किया।
23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पुलिस रिमांड लिया
24 दिसंबर 2015 को पुलिस किम्सी जैन को दिल्ली से दुर्ग लाई और न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया।
26 दिसंबर 2015 को विकास जैन व किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह को न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया गया।
10 मई 2021 को सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया। किम्सी दोषमुक्त हो गई। विकास व अजीत सिंह को जीवनभर जेल में रहने की सजा मिली। कोरोना के कारण न्यायालय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए फैसला सुनाया था।
11 मार्च 2024 को हाईकोर्ट में फैसला सुनाया गया। हाईकोर्ट ने विकास व अजीत को दोषमुक्त कर दिया।
हाईप्रोफाइल
लव, सेक्स, मर्डर.. बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड की ऐसी थी क्राइम थ्योरी, 9 साल बाद सभी आरोपी दोष मुक्त, पिता बोला— में देंगे चुनौती