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Nari Shakti: टैरेस गार्डनिंग के साथ स्कूली बच्चों को भी सिखा रहीं जैविक खेती

टी हुसैन. केमिकलयुक्त सब्जियों से छुटकारा पाना हो तो जैविक खेती बढ़िया विकल्प है। इससे मिट्टी में भी उपजाऊपन बना रहता है। यह कहना है राजिम निवासी प्रीतबाला देवांगन का, जो जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं। पेशे से वह टीचर हैं, इसलिए स्कूली छात्रों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रही हैं। वह बताती हैं कि वर्ष 2016 से उन्होंने टैरेस गार्डनिंग के जरिए फूलों के पौधे लगाने की शुरुआत की। उसके बाद सब्जियां भी उगाने लगीं। प्रीतबाला ने बताया कि जैविक खेती आज की जरूरत है। हर माता-पिता को चाहिए कि बच्चों के जन्मदिन पर केक कटवाने की बजाय उन्हें गार्डनिंग सिखाएं। प्रकृति से उनका परिचय कराएं और उसकी महत्ता बताएं। क्योंकि यदि स्वस्थ भारत की परिकल्पना को सिद्ध करना है तो जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा।

स्कूली पाठ्यक्रम में करें शामिल: प्रीतबाला कहती हैं कि जैविक खेती को कोर्स में शामिल किए जाने की जरूरत है। स्कूल स्तर पर पढ़ाई होने लगे, तो बच्चों में समझ बढ़ेगी।

वह कहती हैं कि टीचरहोने के नाते नई पीढ़ी को जैविक खेती का महत्त्व बताना भी एक जिम्मेदारी है। मैं उन्हें घर में कम से कम एक पौधा लगाने और उसकी देखभाल के लिए प्रेरित करती हूं। स्कूल कैम्पस में भी टैरेस गार्डन पर कार्यशाला करती हूं।

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घर के बुजुर्गों से मिली प्रेरणा वह बताती हैं कि गार्डनिंग का शौक मुझे बचपन से था। मैंने मेरे बुजुर्गों को लम्बे समय तक गार्डनिंग करते देखा था। उनसे ही मैं प्रेरित हुई थी। उस वक्त मुझे गार्डनिंग या जैविक खेती का मौका नहीं मिला, लेकिन पिछले 8 वर्षों से लगातार यह काम कर रही हूं।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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