बस्तर की पहली महिला मोटर मेकेनिक अब कार बनाना सीखेगी
सिलाई- कढ़ाई करने वाले हाथ जब टू-व्हीलर बनाने लगे तो यह उन महिलाओं के लिए मिसाल है जो पुरूषों के वर्चस्व वाले कामों को करने से पीछे हटती है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से 5 किलो दूर रेटावंड गांव की रहने वाली 30 साल की हेमवती नाग संभवत: प्रदेश की पहली मोटर मेकेनिक है। हेमवती ने बहुत सारे काम किए लेकिन उसे सफलता मोटर मेकेनिक बनकर ही मिली। अब वो अपने पति के साथ मिलकर टू-व्हीलर सुझारती है। बिना सरकारी मदद के वो बस्तर के इस बीहड़ इलाके में कार्य कर रही है। वो अब कार बनाना सीखना चाहती है, क्योंकि हेमवती कहती हैं कि यहां पर कार सुधरवाने बहुत से लोग आते है।
हर चीज सीखने की इच्छा रहती है
हेमवती कहती हैं कि मुझे बचपन से ही हर चीज सीखने की इच्छा रहती थी। शादी के बाद पति को टू-व्हीलर बनाते देखा तो मुझे भी इसे सीखने की इच्छा हुई और पति तुलेश्वर ने मुझे टू-व्हीलर ठीक करना सिखाया। पहले पंचर बनने में परेशानी आती थी, क्योकि उसमें शारीरिक बल लगता है, तब पति ने बताया कि किस तरह चक्का खोलते है अब वो आसानी से पंचर भी बना लेती है।
पहले करती थी सिलाई-कढ़ाई
हेमवती ने बताया शादी के पहले तीन भाई-बहनों की जिम्मेदारी थी, क्योंकि परिवार में कोई नहीं बचा था। कम उम्र में ही वो काम करने लगी और ८ वीं के बाद पढ़ाई छोड़ थी। हेमवती ने खेतों में रोपाई से लेकर सारे काम किए। सिलाई-कढ़ाई भी करती थी, जिसे शादी के बाद तक जारी रखा, लेकिन परिवार का गुजारा मुश्किल हो रहा था। पति तुलेश्वर मोटर मेकेनिक है, उन्हीं से हेमवती ने मोटर बनाना सीखा और दोनों के काम करने के कारण उनकी माली हालत भी सुधरती गई। तीन बच्चों की मां हेमवती कहती है कि अब मुझे कार बनाना सीखना है।
सहयोग मिलना बहुत जरूरी
हेमवती कहती है कि किसी भी काम को करने के लिए परिवार का साथ मिलना बहुत जरूरी होता है। आप गृहस्थ जीवन में हो तो पति का साथ मिलना जरूरी है तभी अब हर असंभव काम कर सकते है। उनकी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास उन्हें औरों से अलग बनाती है। निश्चित ही वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरेंगी।
07:09 PM
October 17