हौसला.. पिता की मृत्यु के बाद पढ़ाई छूटी, लेकिन लगन से बने कामयाब बिजनेसमैन

बनना था आईएएस लेकिन बन गए बिजनेसमैन

सरिता दुबे. हालात कब बदल जाए, कोई नहीं जानता। रायपुर के 23 वर्षीय अनिकेत टंडन यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन आज वे सफल बिजनेसमैन हैं। 20 साल की उम्र में पिता के निधन से बीटेक की पढ़ाई छूट गई और परिवार की जिम्मेदारी अनिकेत पर आ गई। उन्होंने प्राइवेट बीए करते हुए यूपीएससी की तैयारी शुरू की, लेकिन दोनों एक साथ करना संभव नहीं था। फिर बिजनेस का निर्णय लिया, मगर पैसे की कमी थी।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से लोन लेकर तिल्दा में चिप्स फैक्ट्री डाली और अब रायपुर में दूसरी यूनिट लगाने जा रहे हैं। उनका बिजनेस सालाना 1 करोड़ का टर्नओवर कर रहा है। वे कहते हैं कि हमारा प्रोडक्ट इतना अच्छा है कि हम सप्लाई करने की स्थिति में नहीं थे, फिर ऑटोमेटिक मशीन लगाई।

मुख्य बिंदु

  1. बिजनेस के लिए किया रिसर्च और लोगों से जाना चिप्स कैसा हो।
  2. ऑनलाइन भी बहुत रिसर्च किया और लोगों को जोड़ा अपनी रिसर्च से।
  3. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 25 लाख का लोन लिया।
  4. डेढ़ साल तक की प्रोडक्ट की मार्केटिंग।
  5. किसान से डायरेक्ट खेत में ही आलू लेने लगे।
  6. एक लाख लोगों से फीडबैक लेने से मॉटिवेशन मिला।

चिप्स और मिलेट्स पफ पहली पसंद

अनिकेत ने बताया कि हमने आलू चिप्स से अपना बिजनेस शुरू किया और अब हम मिलेट्स के पफ भी मार्केट में ले आए हैं, जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है। जब मैं चिप्स को लेकर लोगों से फीडबैक ले रहा था तो कई सारी चीजों का पता चला कि चिप्स के पैकेट में कम क्वांटिटी और कैमिकल वाले मसाले होते है। मैंने सोचा कि हम लोगों को अलग और सेहतमंद चिप्स किस तरह दे सकते है? हमने होममेड मसालों का उपयोग किया।

महिलाएं तैयार करती है चिप्स अनिकेत ने बताया कि मेरी फैक्ट्री में सारा काम महिलाएं ही करती हैं। 9 महिलाओं की टीम ही फैक्ट्री के सारे काम को संभालती है। कुछ महिलाओं को हमने विशेष ट्रेनिंग भी दी है। कुछ को बाहर ट्रेनिंग के लिए भी भेजा है। उन्हें बाहर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन आज बेहतर काम कर रही हैं।

हमेशा चलने वाले बिजनेस पर फोकस

अनिकेत ने बिजनेस शुरू करने से पहले मार्केट रिसर्च किया। पैसे की कमी थी, इसलिए ऐसा बिजनेस चुना जो सालभर चले। 2022 में फूड पर रिसर्च शुरू की। पूरे छत्तीसगढ़ में घूमकर लोगों से फीडबैक लिया, ताकि सही रणनीति बना सकें।

अनिकेत ने रिसर्च के बाद नैचुरल चिप्स बनाने का प्लान किया, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी हो और किसी तरह का उसमें केमिकल भी ना हो. इस बीच में 6 महीने क्या बिजनेस करना है, यह रिसर्च किया और उसके बाद डेढ़ साल कैसे बिजनेस करना है, वह रिसर्च किया. इसके बाद टीम ने यम्मी पोटैटो चिप्स लॉन्च किया।

डेढ़ साल तक की प्रोडक्ट की मार्केटिंग


अनिकेत बताते हैं कि पहले हम मार्केट से चिप्स लेकर आते थे, उसमें होममेड मसाला मिलाकर पैकिंग कर मार्केट में बेचने जाते थे. इसके अलावा अलग अलग जगह पर स्टाल भी लगाते थे. इस दौरान हम लोगों को फ्री में भी चिप्स टेस्ट कराते थे और उनका फीडबैक लेते थे कि चिप्स में क्या कमी है, क्या किया जा सकता है। लगभग एक लाख लोगों से फीडबैक लिया गया और इस फीडबैक से हमें मॉटिवेशन मिला। इस तरह लगभग डेढ़ साल तक हमने इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग की। उस दौरान हम लूज पैकिंग का इस्तेमाल करते थे. बाद में फिर हमने 5 रुपए पैकेट लॉन्च करके डिस्ट्रिब्यूशन पर ध्यान दिया.हर जिले में एक व्यक्ति रखकर काम किया।

अनिकेत ने बताया कि साल 2023 में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 25 लाख का लोन लिया. जिसमें हमें एक ट्रेनिंग भी दी गई। इसके बाद मैंने चिप्स का प्लांट लगाया और मैन्युफैक्चरिंग शुरू की। हमने बिजनेस को बेहतर तरीके से शुरू किया। हमें नए प्रोडक्ट लॉन्च करने थे और इस बीच हमारी मार्केट डिमांड तेजी से बढ़ गई थी। हम सप्लाई करने की स्थिति में नहीं थे। उस दौरान मात्र 600 किलो का उत्पादन करते थे, लेकिन अब ऑटोमेटिक मशीन लगाने के बाद हमारी कैपेसिटी बढ़ गई है। अनिकत कहते हैं कि इसी बीच मैंने गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से आईआईएम जम्मू से स्मार्ट बिजनेस डेवलपमेंट डिप्लोमा भी किया।

हमारे मसाले होममेड है


अनिकेत से जब पूछा गया कि दूसरों के चिप्स से उनका चिप्स अलग कैसे है तो उन्होंने दावा किया कि दूसरे के चिप्स आप पांच पैकेट खाएंगे तो आपका पेट दुखने लगेगा, लेकिन हमारा चिप्स खाने के बाद आपका पेट खराब नहीं होगा. क्योंकि हम नेचुरल चिप्स बनाते है.जिसमें किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. हमारे मसाले होममेड हैं। उसमें किसी तरह का भी केमिकल नहीं है. वहीं दूसरी कंपनी के द्वारा एक पैक में 10 से 12 ग्राम चिप्स दिया जाता है जबकि हमारे क्वांटिटी ज्यादा है हम 16 ग्राम चिप्स देते हैं , यही वजह है कि हमारे चिप्स की डिमांड मार्केट में ज्यादा है.

अनिकेत ने बताया कि इस चिप्स के लिए विशेष प्रकार के आलू की जरूरत होती है. यह आलू हम किसानों के खेत पर जाकर उनसे सीधे खरीदते हैं। हम उनके खेत पर जाते हैं, उनसे डील करते हैं. वहां पर लाइव लोकेशन और फोटो लेते हैं और उसी दौरान कुछ राशि भी उन्हें दे देते हैं। जब आलू तैयार हो जाता है तो उसके बाद हम उसे ले लेते हैं। इसका फायदा यह होता है कि किसान डायरेक्ट हमको आलू देते हैं और उस रेट में देते हैं, जिस रेट में ब्रोकर हमें देता है तो ब्रोकर का कमीशन भी किसान को मिलता है। इससे किसान को अतिरिक्त आय हो जाती है। हमें अच्छे क्वॉलिटी के आलू मिल जाते हैं। इस समय तीन चार राज्यों में ढाई तीन हजार किसानों से कांटेक्ट कर रखा है। हम आलू के बीज भी किसानों को देते हैं, जिन्हें जरूरत होती है।

फैक्ट्री में हैं 9 महिलाएं

अनिकेत ने बताया कि हमारी फैक्ट्री में खास बात यह है कि हमारे यहां मैनपावर में एक भी मैन नहीं हैं। फैक्ट्री में 9 महिलाएं है जो पूरा काम करती है। हम वहां हों या ना हों, ये महिलाएं पूरी मेहनत और ध्यान से उस फैक्ट्री का संचालन करती हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं को हमने ट्रेनिंग भी दी है. कुछ को बाहर ट्रेनिंग के लिए भी भेजा है। उन्हें बाहर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन आज बेहतर काम कर रही हैं। 2 साल से लगातार वे हमारे यहां काम कर रहे हैं। हमारी फैक्ट्री तिल्दा में है और दूसरी यूनिट रायपुर में लगाने की तैयारी कर रहे हैं. अनिकेत टंडन अपने चिप्स के बिजनेस से सालाना 1 करोड़ का टर्नओवर ले रहे हैं, जो आने वाले दिनों में बढ़ने की उम्मीद है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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