CG By-Election: रायपुर दक्षिण विधानसभा में बजा चुनावी बिगुल, उम्मीदवार को लेकर चर्चा शुरू, आचार संहिता लागू
छत्तीसगढ़ की एकमात्र रायपुर दक्षिण विधानसभा की सीट में उपचुनाव का बिगुल बज गया है। चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान होने के बाद आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है। अब त्योहार के बीच कांग्रेस-भाजपा दोनों को चुनाव जीतने के लिए पसीना बहाना पड़ेगा। सबसे अहम बात यह है कि इस चुनावी तैयारी में भाजपा बढ़त बनाए नजर आ रही है। भाजपा में जहां दावेदारों के लिए अंतिम दौर का मंथन चल रहा है, वहीं कांग्रेस के सामने दावेदारों की फौज खड़ी है।
विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आएगा। भाजपा के सामने जहां अपने अभेद गढ़ को बचाएं रखने की चुनौती होगी, तो कांग्रेस अपनी खोई प्रतिष्ठा पाने के लिए पूरी ताकत लगाएगी। बता दें कि सत्ता परिवर्तन के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कांग्रेस केवल कोरबा लोकसभा की सीट बचाने में कामयाब हो सकी है। जबकि, पिछले बार उसके पास बस्तर लोकसभा की सीट भी थी।
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का गणित अलग है। अब तय यहां बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आए हैं। इसके पीछे कई कारण है। वो कुशल रणनीतिकार होने के साथ-साथ लोकप्रिय भी थे। इस वजह से यहां सीधा मुकाबला हमेशा कांग्रेस-भाजपा के बीच ही रहा है। हालांकि यह बात अलग है कि राज्य निर्माण के बाद कांग्रेस कभी इस किले में सेंध नहीं लगा सकती है। अब उपचुनाव में यहां समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं। यहां छोटे दल के प्रत्याशी अपना बड़ा प्रभाव डाल सकते हैँ। इस वजह से यहां हार जीत के अंतर में भी कमी हो सकती है।
एक नाम पर सहमति बनाने का प्रयास
भाजपा-कांग्रेस दोनों ने इस लोकसभा चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। इसके बावजूद यहां दावेदारों की भीड़ ने दोनों पार्टी को चिंता में भी डाल लगा है। उन्हें इस बात का डर है कि प्रत्याशी की घोषणा के बाद बगावत और भितरघात हो सकता है। भाजपा में इसकी संभावना कम दिखाई दे रही है, क्योंकि वो भी सत्ता में है। जबकि इस चुनाव को लेकर कांग्रेस अलग-अलग गुटों में नजर आ रही है। यही वजह है कि प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थक चुनावी टिकट हासिल करने की होड़ में लगे हुए हैं।
सर्वे बनेगा टिकट वितरण का बड़ा आधार
बताया जाता है कि टिकट वितरण से पहले कांग्रेस-भाजपा ने अपने-अपने स्तर पर सर्वे करवा रही है। इसमें टिकट के दावेदारों से जुड़ी व्यक्तिगत और सार्वजनिक जानकारी एकत्र की जा रही है। टिकट वितरण में सर्वे की अहम भूमिका होगी। माना जा रहा है कि दोनों दल स्वच्छ छवि वाले को टिकट देंगे। खासकर ऐसे व्यक्ति को जिनके खिलाफ कोई भी गंभीर आपराधिक मामला दर्ज न हो।