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CG holi 2024: छत्तीसगढ़ के इस गांव में नहीं जलती होलिका, वजह जानकर सिहर उठेंगे आप

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुरुर विकासखंड के सोहपुर में 154 साल बीतने के बाद भी होलिका दहन नहीं किया जाता। ग्रामीणों ने बताया कि जब भी होलिका दहन किया जाता था तो गांव में आग के गोले बरसने लगते थे। किसी न किसी के घर में आगजनी की घटना होती थी।

ऐसे में बुजुर्गों ने होलिका दहन नहीं करने का फैसला किया। सोहपुर ग्रामीणों ने बताया आगजनी से पूरा गांव परेशान था। ज्योतिषाचार्य ने गांव में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करने कहा। ग्रामीणों का दावा है कि यहां आज भी जमीन के अंदर घरों के जलने के अवशेष मिलते हैं। लोग होली के दिन सूखी होली मनाते हैं।

हैजा के कारण नहीं जलाते होलिका

गुंडरदेही ब्लॉक के ग्राम चंदनबिरही में 9 दशकों से होलिका नहीं जली। ग्रामीणों के मुताबिक गर्मी के दिनों में गांव में हैजा प्रकोप बन कर टूट पड़ता था, बच्चे मर रहे थे। यह बात है 1925 से पहले की है। ग्रामीण महिलाओं को गर्भ के समय गांव से बाहर भेजने लगे, लेकिन जब महिलाएं वापस आती थीं तो फिर से बच्चे मरने लग जाते थे।

होली खेलना व जलाना बंद

तब चंदनबिरही के जमींदार निहाल सिंह, जो गुंडरदेही के राजा थे। उन्होंने गांव में होली खेलना और जलाना बंद करा दिया, वहीं बालोद जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग में स्थित ग्राम झलमला गंगा मैया स्थल के कारण पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है, लेकिन होली पर होलिका नहीं जलाई जाती। लेकिन दूसरे दिन रंग और गुलाल से होली खेली जाती है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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