CG Politics: कांग्रेस में बदलाव की लिस्ट तैयार, निकाय चुनाव पहले होगी जारी
रायपुर. प्रदेश में रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव की वोटिंग होने के बाद कांग्रेस में एक बार फिर बदलाव की चर्चा तेज हो गई है। संगठन ने इसका होमवर्क बहुत पहले की कर लिया था। सूची भी लगभग तैयार है, लेकिन उपचुनाव को देखते हुए इसे टाल दिया गया था। इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद संगठन में बदलाव होगा। संगठन के सूत्रों ने इसे खारिज कर दिया है। उनका दावा है कि संगठन नगरीय निकाय चुनाव से पहले बदलाव करने की तैयारी में हैं। बदलाव की पहली सूची दिसबर में जारी हो सकती है।
बैठकों का दौर लगभग पूरा
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश प्रभारी के साथ दो प्रदेश प्रभारी सचिवों को भी बदला है। संगठन ने नए प्रभारी सचिवों को जिलों का बंटवारा भी कर दिया था। इसके बाद नए प्रभारी सचिवों ने प्रदेशभर में बैठकों का दौर पूरा कर लिया है। प्रभारी सचिवों से राय लेकर सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। बता दें कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश के संगठन में बदलाव की हरी झंडी दे रखी है।
प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने शीर्ष नेतृत्व के फैसले से प्रदेश के शीर्ष नेताओं को भी अवगत करा दिया था।
16 महीने से अधिक समय हुआ
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 12 जुलाई 2023 को तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। मरकाम को मंत्री का दायित्व दिया गया था। इसके तत्काल बाद दिसबर में विधानसभा और बाद में लोकसभा का चुनाव हुआ। इस वजह से संगठन का विस्तार टलते गए।
अब बैज को प्रदेश अध्यक्ष बने 16 महीने से अधिक का समय हो गया है। माना जा रहा है कि बदलाव जल्द होगा।
बताया जाता है कि संगठन अपने पुराने चुनावी अनुभव से सबक लेते हुए बदलाव की सूची तैयार की गई है। इस सूची को तैयार करने से पहले संगठन ने वरिष्ठ नेताओं के साथ मंथन भी किया, लेकिन संगठन के पैमाने पर जो खरा नहीं उतर रहा है, उसे सीधे बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है। बताया जाता है कि इस बार कांग्रेस 50 फीसदी जिलाध्यक्षों को बदल दिया जाएगा। बता दें कि दीपक बैज के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद पहले विधानसभा और बाद में लोकसभा के अहम चुनाव हुए। इन दोनों चुनाव में संगठन को हार का सामना करना पड़ा। हार के कारण की समीक्षा की गई तो कई अहम जानकारी सामने आईं। कई जिलों में चुनाव के दौरान जिलाध्यक्षों की भूमिका काफी सीमित थी। इसका नुकसान पार्टी को उठाना पड़ा। यही वजह है कि संगठन पुराने चुनावी अनुभव से सबक लेते हुए सूची को अंतिम रूप दिया है।