Nari Shakti: शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हंपी बोली- 37 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनना आसान नहीं
भारत की शीर्ष महिला खिलाड़ी कोनेरू हंपी ने रविवार को विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप में खिताब जीत कर इतिहास रच दिया। जीत से उत्साहित हंपी ने कहा, 37 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनना आसान नहीं है। जब आपकी उम्र बढ़ जाती है तो प्रेरणा बनाए रखना और जरूरत पड़ने पर तेज बने रहना काफी मुश्किल होता है। मुझे खुशी है कि मैंने यह कर दिखाया। हंपी ने कहा, मैं दूसरी बार खिताब जीत कर बहुत खुश हूं। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी क्योंकि मैं पहला राउंड हार गई थी, और कभी नहीं सोचा था कि मैं चैंपियन के रूप में घर लौटूंगी।
हंपी ने यहां 11 राउंड के मुकाबले में 8.5 अंक लेकर जीत दर्ज की। उन्होंने 2019 में मास्को में पहली बार यह खिताब जीता था। उन्होंने चुनौतीपूर्ण एंडगेम में इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को मात दी।
धीमी रही शुरुआत, फिर की वापसी
हालांकि यहां हंपी की शुरुआत धीमी रही थी। चार राउंड के बाद उनके खाते में सिर्फ 2.5 अंक थे। लेकिन फिर वे डी हरिका, मौजूदा चैंपियन चीन की जू वेनजुन के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष पर पहुंच गईं। रूस के 18 वर्षीय वोलोडर मुर्जिन ने पुरुष वर्ग का खिताब जीता। वे ऐसा करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं।
हंपी को विरासत में मिला है यह खेल
हंपी को यह खेल विरासत में मिला है। उनके पिता कोनेरू अशोक भी शतरंज खिलाड़ी हैं और वे चाहते थे कि उनकी बेटी भी शतरंज खेले। उन्होंने इसलिए अपनी बेटी का नाम हंपी रखा, जिसका अर्थ होता है विजयी। हंपी ने पिता के सपनों को पूरा करने में कसर नहीं छोड़ी। हंपी ने विश्व रैपिड शतरंज में हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया है।
शतरंज के लिए शानदार रहा यह साल
भारतीय शतरंज के लिए साल 2024 शानदार रहा है। इस साल भारतीयों ने शतरंज ओलंपियाड में ओपन और महिला वर्ग में स्वर्ण पदक जीते और फिर डी गुकेश ने सबसे युवा विश्व चैंपियन बनकर इतिहास रचा। हंपी ने इस उपलिब्ध पर कहा, भारत के लिए यह सही समय है। हमारे पास बेहतरीन प्रतिभाए हैं।