बाल विवाह: कलेक्टर चौधरी का सख्त निर्देश, माता-पिता के साथ सगे-संबंधियों व बारातियों पर भी दर्ज होगा केस!
राज्य में बाल विवाह की रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसी के तहत कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने भी सभी संबंधितों को निर्देश जारी किया है। निर्देश में बाल-विवाह प्रतिषेध और इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों को लेकर लोगों को जागरूक करने कहा गया है। जिसमें बताया गया है कि बाल विवाह की स्थिति में माता-पिता के साथ सगे-संबंधियों और विवाह में शामिल होने वालों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
कलेक्टर द्वारा जारी निर्देश में बताया गया है कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नही अपितु कानूनन अपराध भी है। बाल विवाह से बच्चों का सर्वांगीण विकास प्रभावित होता है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर व वधु के माता-पिता, सगे-संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह के बाद विवाह को स्वीकार नहीं करते हैं, तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर व मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। बाल विवाह बालकों के सर्वोत्तम हित में नही है।
राज्य में इसकी पूर्ण रोकथाम किया जाना आवश्यक है। कलेक्टर ने राज्य में बाल विवाह की पूर्ण रोकथाम के लिए पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, सर्व अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), जिला शिक्षा अधिकारी, सर्व आयुक्त, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, मुख्य नगर पंचायत अधिकारी सहित सभी अधिकारियों व संस्था संगठनों को निर्देश जारी किया है।