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इन महिलाओं ने गरीबी के साये में पल रहे बच्चों को फर्श से अर्श तक पहुंचाया, आप भी जानिए उनकी कहानी

महिलाएं जहां भी रहती है वहां रौनक और खुशियां रहती है

महिलाओं को हमेशा सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि वो सृष्टि को सजाती और संवारती है

Woman News बिलासपुर की रहने वाली विभाश्री साहू जो बीते १६ साल से अमरीका के न्युयार्क में रहती है और गो फंड के जरिए वो भारत के जरुरत मंद प्रतिभावान बच्चों की सहायता करती है। वो कहकी हैं कि महिलाएं हर परिस्थित में अपना बेस्ट ही देने की कोशिश करती है और महिलाओं को हमेशा सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि वो सृष्टि को सजाती और संवारती है।

जांजगीर चांपा के हरदी(जर्वे)में शुरुआती शिक्षा पाने वाली विभाश्री साहू आज अमरीका के न्युयार्क में भारतीय संस्कृति और साहित्य के जरिए विदेशियों को जोड़ रही है। वो कहती हैं कि वसुधैवकुटुंबकम की भावना के साथ सदैव समाज हित के लिए काम करना और छत्तीसगढ़ी साहित्य के लिए अपना योगदान देते रहना मेरे जीवन के मुख्य दो महत्वपूर्ण कार्य है। सात समंदर पार जाकर भी अपना देश याद आता है यहां के खाने का स्वाद विदेश में नहीं आता। मेरा ऐसा मानना है कि महिलाओं को हमेशा सम्मान मिलना चाहिए क्योंकि महिलाएं जहां भी रहती है वहां रौनक और खुशियां रहती है। वो जननी है सृष्टि को संवारती है।

शिक्षण से जुड़ी

बिलासपुर में ही विभा श्री उच्च शिक्षा लेकर शिक्षण से जुड़ी और आज न्युयार्क में भी बच्चों को शिक्षा दे रही हैं साथ ही हिंदी भाषा की भी टीचर है। छत्तीसगढ़ और यहां के साहित्य को विदेशों तक पहुंचाया। विभाश्री साहू बीते 16 साल से न्युयार्क में रहकर हिंदी भाषा पढ़ाती है । साथ ही गो फंडिंग के जरिए अमरीका के लोगों की मदद लेकर भारत में जरूरत मंद बच्चों को शिक्षा और खेल के लिए मदद करती है।

अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच न्यूयॉर्क की वो उपाध्यक्ष हैं। रूपाली महतारी गुडी बहुउद्देशीय संस्था भिलाई के संरक्षक के रूप में कार्यरत हैं। लोक संगवारी सम्मान, इंडियन अमेरिकन कम्यूनिटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका दवारा विशेष वक्ता के तौर पर भी सम्मानित हो चुकी है। इनका लिखा गीत छईयांभुईयां प्रदेशवासियों ने बहुत पसंद किया इसके साथ ही कई लोक कथाए और कविताएं भी वे लिखती है।

स्कूल के दिनों से ही समाज सेवा जुड़ी

गांव के बच्चों को निशुल्क ट्यूशन पढ़ाया, ग्राम हरदी के आंगन बाड़ी में समय दान किया। सिलाई का प्रशिक्षण लेकर, कपड़ेसिलकर बिलासपुर अनाथ आश्रम में दान देती रहीं। कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुडक़र गांव के शिविर में शामिल हो, सफाई अभियान और ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी विषयों में प्रशिक्षण दिया।

साहित्यिक और सामाजिक योगदान

विभाश्री छत्तीसगढ़ के लिए भी कई साहित्यिक तथा सामाजिक योगदान दे चुकी हैं। हिंदी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं में लेखन का कार्य करती हैं। अंग्रेजी में लेख तथा हिंदी और छत्तीसगढ़ी में कहानी, कविता, लेख तथा गीत लिखती हैं।। इनके लिखे छईयामभुईयां गीत को जनता ने बहुत पसंद किया। उसी तरह अंजोरी पाक, छत्तीसगढ़ दर्शन, दाई के सुरता गीत भी विभाश्री ने लिखें।

इस तरह शुरू हुआ मदद का दायरा

छत्तीसगढ़ के गरीब किसान राधेश्याम खैरवार तथा परिवार की एक अमेरिकी संस्था के माध्यम से मदद की। अमेरिकी संस्था और जांजगीर जिला कलेक्टर द्वारा उन्हें सम्मानित कराया तथा खैरवार परिवार की पहल को यूनाइटेड नेशन्स तक पहुंचाया। गो फंड मुहिम की शुरुआत कर सत्येंद्र मीरे की 2.5 लाख रुपए की सहायता की, जिससे सत्येंद्र मीरे ने स्वयं के लिए एक आर्चरी किट खरीदा। अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी खेल में भी छत्तीसगढ़, भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है। इसी तरह कई खिलाडिय़ों की मदद करना इनकी कार्यसूची में दर्ज है।

घर में ऑर्गेनिक फार्मिंग कर रही हैं।

अपने घर के बैकयार्ड में वे अपने परिवार के साथ जहां विभिन्न तरह के सब्जियां उगाती हैं । इनके किचन गार्डन में छत्तीसगढ़ की प्राय: सभी सब्जियां शामिल हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग कर अमरीकी तथा अप्रवासी भारतीयों को भी ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें प्रशिक्षित करती हैं। इससे कई लोगों ने प्रभावित होकर ऑर्गेनिक फार्मिग का कार्य शुरू किया।

बीच में पढ़ाई छोड चुके बच्चों को फिर से शिक्षा से जोड़ा

परिवर्तन अचानक नहीं आता इसलिए कोशिश लगातार करते रहना चाहिए।

आर्थिक परेशानियों के चलते बीच में पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए बिलासपुर की हनी गुप्ता ने इन बच्चों को नि:शुल्क पढाक़र इसकी शुरुआत की। बीते 4 सालों में स्लम बस्ती में रहने वाले 2 हजार से अधिक बच्चों को शिक्षा से जोड़ा। स्लम एरिया के बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं, जिसके चलते उन्हें ता उम्र रोजी मजदूरी करने को मजबूर रहना पड़ता हैं। इन बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए ही हनी ने अपने रिसर्च के हिस्से में स्लम एरिया के बच्चों को चुना और उन्हीं पर पर अधिक फोकस किया।

पांचवी के बाद छोड़ देते है पढ़ाई

बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत में वह यह जानकर चौक गई कि स्लम एरिया में रहने वाले अधितर बच्चे सिर्फ 5 वीं तक ही स्कूल जाते हैं। हनी ऐसे बच्चों को पढ़ाई के महत्व का समझाते हुए उन्हें दोबारा से शिक्षा से जोडऩे के लिए उनके बीच जाकर पढ़ाना शुरू किया। शुरुआत में तो बहुत परेशानी आई, लेकिन जब बच्चों को हनी के पढ़ाने का तरीका पसंद आया तो धीरे-धीरे कई बच्चे हनी की पाठशाला से जुड़ते चले गए। पढ़ाई के साथ वह उन बच्चों को संस्कृति से जोडऩे के लिए त्योहारों का महत्व समझा रही है।

500 से अधिक को डिजिटल साक्षर बना रही

आर्थिक तंगी के चलते स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को कम्प्यूटर सीखने का अवसर नहीं मिल पाता है। यह देखते हुए हनी ने 500 से अधिक बच्चों को कम्प्यूटर के जरिए डिजिटल साक्षर बना रही है, जिससे उन्हें कंप्यूटर की बेसिक जानकारी मिल सके। स्लम क्षेत्र में रहने वाले बच्चे कम उम्र में रोजी मजदूरी करने की वजह से शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं। ऐसे बच्चों और परिवार के साथ हनी सभी त्यौहार इनके साथ ही सेलिब्रेट कर रही है। साथ ही सभी त्यौहार के बारे में इतिहास बताते हुए उसका महत्व भी समझा रही है।

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