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Constitution Day 2024: डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा- एक व्यक्ति, एक मूल्य के सिद्धांत को खारिज करते रहेंगे..

इसमें कोई संदेह नहीं है कि खुश रहने के प्रमुख कारणों में स्वतंत्रता भी है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता के साथ हम पर कुछ महान जिम्मेदारियों का भार भी है। जनवरी, 1950 को हम विरोधाभास भरे जीवन में प्रवेश कर रहे हैं। यह सच है कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हमारे पास समानता होगी, लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक ढांचे में एक व्यक्ति, एक मूल्य के सिद्धांत को लगातार अस्वीकार करते रहेंगे।

हम कब तक विरोधाभासों से भरे इस जीवन को जीना जारी रखेंगे? हम कब तक अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन में समानता के अधिकार को नकारते रहेंगे? यदि हम इन अधिकारों को लंबे समय तक नकारते रहेंगे जो जाहिर है कि हम अपने राजनीतिक लोकतंत्र को संकट में डाल रहे होंगे। जितना जल्दी हो सके, हमें इन विरोधाभास को दूर करना चाहिए। यह मत भूलिए कि जो लोग असमानता से पीड़ित हैं, वे लोकतांत्रिक ढांचे को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं, जिसे इस संविधान सभा ने बहुत ही मेहनत से खड़ा किया है।

मुझे लगता है कि हमारा संविधान व्यावहारिक है, यह लचीला भी है और देश को शांति और युद्ध दोनों स्थितियों में एक साथ रखने के लिए पर्याप्त मजबूत भी है। वास्तव में, यदि मैं यह कहूं कि नए संविधान में निहित कुछ चीजें गलत होती हैं, तो इसका कारण यह नहीं होगा कि हमारे पास एक खराब संविधान था, बल्कि हम यह कहेंगे कि इसे लागू करने वाले लोगों में कमी है। दुनिया के वास्तविक अर्थ में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीयों का कोई राष्ट्र है ही नहीं, इसे अभी बनाया जाना है।

हमारा यह विश्वास कि हम एक राष्ट्र हैं, एक बड़ा भ्रम पाल रहे हैं। एक राष्ट्र के रूप में लोग हजारों जातियों में कैसे बंटे हो सकते हैं? जितनी जल्दी हम यह महसूस कर लेंगे कि हम एक राष्ट्र नहीं हैं, दुनिया के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अर्थों में हमारे लिए बेहतर होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि खुश रहने के प्रमुख कारणों में स्वतंत्रता भी है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस स्वतंत्रता के साथ हम पर कुछ महान जिम्मेदारियों का भार भी है।

आजादी मिलने के साथ ही हमने कुछ भी गलत होने पर अंग्रेजों को दोषी ठहराने का बहाना खो दिया है। यदि इसके बाद चीजें गलत होती हैं, तो हमारे पास स्वयं को दोषी ठहराने के अलावा और कोई व्यक्ति नहीं होगा। इससे चीजें बिगड़ने का ज्यादा खतरा रहता है। समय तेजी से बदल रहा है।

‘संविधान के प्रारूप को तैयार करने के हमारे दो प्रमुख उद्देश्य रहे हैं- पहला देश में राजनीतिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के ढांचे को खड़ा करना। दूसरा, हमारा देश आदर्श आर्थिक लोकतंत्र हो, हर सरकार यह प्रयास करे।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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