गोबर खरीदी बंद: किसानों के 5 लाख लटके, अब बना रहे कंडे
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही गोधन न्याय के तहत गोबर खरीदी पर ब्रेक लग गया है। जिले के 355 गौठानों में पिछले 5 महीने से गोबर की खरीदी बंद है। 1 दिसंबर से 15 दिसंबर-2023 तक 13 हजार किसानों ने गौठानों में गोबर बेचा है, जिसकी 5 लाख की राशि का अब तक भुगतान नहीं हुआ है।
किसान राशि के लिए गौठानों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। शासन से कोई स्पष्ट आदेश नहीं मिलने से विभागीय अधिकारी भी योजना शुरू होगी या नहीं, इस बारे में कुछ नहीं बता पा रहे हैं।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार शासन द्वारा गोधन न्याय योजना 20 जुलाई 2020 को शुरू की गई है। जिले में 355 गांवों में सक्रिय गौठान बनाया गया है। इसमें 347 ग्रामीण और 8 शहरी क्षेत्र में स्थित है। अब तक की स्थिति में 13 हजार 113 पंजीकृत पशुपालकों से 5 लाख 8 हजार 236 क्विंटल गोबर खरीदा गया है।
वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट को मिलाकर कुल 1 लाख 45 हजार 8 क्विंटल कंपोस्ट खाद बनाया गया है। इसमें से 1 लाख 22 हजार 562 क्विंटल खाद का विक्रय हुआ। इसी तरह सुपर कंपोस्ट 4784.20 क्विंटल उत्पादन हुआ। 3531 क्विंटल का विक्रय भी किया गया है। सितंबर-2023 से गौठानों में गोबर खरीदी बंद होने के साथ ही कई गौठानों में खाद का स्टाक शेष है। अब गौठानों में ग्रामीण कंडे बनाकर सूखा रहे हैं।
नालियों में बहाया जा रहा गोबर
गोबर खरीदी शुरू होने से शहरी क्षेत्र में लोगों को काफी राहत मिली थी। यहां 110 डेयरियां हैं। मवेशियों की संख्या करीब 12 सौ है। डेयरियों से निकलने वाले गोबर को डेयरी संचालक बेच रहे थे। इससे नाली के साथ ही वार्डों में गंदगी भी कम होती थी। अब गोबर को नालियों में बहाया जा रहा। लालबगीचा, नयापारा, मराठापारा, ब्राह्मण पारा समेत करीब दर्जन वार्डों की नालियां गोबर से जाम है।
नाडेप का नहीं हो रहा कोई उपयोग
ग्राम खपरी, अर्जुनी, मुजगहन, पोटियाडीह में आज भी पंजीकृत किसान गोबर खरीदी शुरू होने की आस में गोबर एकत्रित कर रहे हैं। किसान अर्जुन साहू, खेमेन्द्र गंगबेर, नरोत्तम नेताम ने बताया कि गोधन न्याय योजना किसानों के लिए आय का अच्छा स्त्रोत था। किसानों से 10 रूपए प्रतिकिलो में गोबर की खरीदी की जा रही थी।
सोसायटी में इसे 3 सौ रूपए में बेचा जा रहा था। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिला था, लेकिन जब से गोबर खरीदी बंद हुई, किसानों को नुकसान हो रहा है। इन गांवों के गौठानों में आज ग्रामीण गोबर के कंडे बनाकर सूखा रहे हैं। खाद बनाने के लिए बनाया गया नाडेप का भी कोई उपयोग नहीं हो रहा।
जिले में 355 गौठानें हैं। वर्तमान में गोबर खरीदी बंद हैं। 13 हजार किसानों का 5 लाख रूपए का भुगतान भी बकाया है। शासन से गोबर खरीदी को लेकर कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
मोनेश साहू, उप संचालक कृषि विभाग