भूंजिया जनजाति भीड़ में जाना पसंद नहीं करती शुरू में देवकी भी सहमी लेकिन फिर आगे बढ़ी
महिलाओं को बढऩे से रोकने वाली परंपराओं को तोडक़र आगे बड़ी
भूंजीय जनजाति की आदिवासी महिला ने किया समुदाय की सोच में बदलाव
Cg raipur news विशेष पिछड़ीभूंजिया जनजाति की महिलाएं बाहर नहीं जाती, न बाहर का खाना खाती है, चप्पल नहीं पहनती यहां तक की ब्लाउज भी नहीं पहनती, लेकिन गरियाबंद के कौसंबीबागबहारा की देवकी बाई भूंजिया ने इन परंपराओं को तोड़ते हुए आगे बड़ी इस दौरान पूरे समुदाय का विरोध सहन करना पड़ा, लेकिन देवकी बाई पीछे नहीं हटी और आज उसके समुदाय की बेटी टीचर बन गई। इसका सारा श्रेय देवकी को जाता है।
-महावारी आने के पहले हो जाती थी शादी
भूंजिया आदिवासी बेटियों के महावारी आने से पहले ही उनकी शादी तीर कमान से कर देते है। उसके बाद ही उसी समुदाय के किसी भी लडक़े से वो लडक़ी की शादी कर सकती है। देवकी बाई की शादी जिस लडक़े के साथ हुई वो उसे पसंद नहीं था शादी के कुछ साल बाद ही वो वापस अपने घर आ गई। यहीं से उसके विरोध सहने के दिन शुरू हुए।
भूंजिया जनजाति भीड़ में जाना पसंद नहीं करती शुरू में देवकी बाई भी झिझकी लेकिन वो सामाजिक संगठनों के साथ बैठक में जाने लगी, बाहर का खाना भी खाने लगी, लेकिन घर आने पर घर वाले पहले उसका शुध्दिकरण करते थे। तब देवकी ने कहा कि पुरूष बाहर खा सकता है तो हम क्यों नहीं। वो चप्पल पहनने लगी। ब्लाउज पहने लगी तब भी समुदाय ने विरोध किया लेकिन वो हर विरोध का सामना करके गई।