मुश्किलें आती है, लेकिन पीछे नहीं हटना चाहिए
गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के मोगरा गांव की रहने वाली 35 साल की खोमेश्वरी नायक कहती हैं कि औरतों को कभी हार नहीं मानना चाहिए मुश्किलें आती है, लेकिन पीछे नहीं हटना चाहिए। कई सालों तक घरेलू हिंसा की शिकार होने के बाद जब हिम्मत करके खोमेश्वरी ने विरोध किया तो तस्वीर कुछ इस तरह बदली कि जो समाज पहले उसे पति के साथ रहने पर विवश करता था वही समाज आज उसको अपना आदर्श कहता है। उसकी हिम्मत को देखकर ही समाज घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद कर रहा है।
बेटी होने पर मिलती थी उलाहना
खोमेश्ररी शादी के 2 माह बाद ही वह घरेलू हिंसा की शिकार हुई। पति रोज मारता था यहां तक कि बीमार होने पर दवाई भी नहीं कराता था। दो बेटियों के होने पर ताने देता था 8 साल तक पति की मार खाती रही। पंचायत और समाज भी पति के हित में बात करते थे। जब उसका सब्र का बंध टूटा तो उस समय खोमेश्वरी की जीने की इच्छा ही नहीं थी फिर एक दिन लोक आस्था सेवा संस्थान की लता दीदी का साथ मिला तो खोमेश्ररी की हिम्मत बंधी। फिर खोमेश्ररी ने कोर्ट में लड़ाई लड़ी। दो साल बाद कोर्ट से उसे भरण-पोषण मिलने लगा। एक बार ऐसा भी हुआ कि खोमेश्वरी का केस वकील ठीक तरह से लड़ नहीं पा रहे थे, तब उसने जज से वकील बदलने की मांग की। पति पेशी पर नहीं आ रहा था, तो खोमेश्वरी ने जज से उसका वारंट मांगा और जज ने उसके हाथों में उसके पति का पेशी वारंट दिया, फिर शहर की पुलिस की मदद से पति को कोर्ट तक लेकर आई।
बेटियों को पढ़ाना हैं
खोमेश्वरी कहती हैं कि दोनों बेटियों को पढ़ाना है क्योंकि में खुद पढ़ी-लिखी नहीं थी इस कारण मुझे इतनी तकलीफ उठानी पड़ी, लेकिन मेरी दोनों बेटियों को खूब पढाऊंगी ताकि वो आत्मनिर्भर बने। वो कहती हैं कि पढऩे से आप मानसिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होते हो। मैं तो पांचवीं पास हूं लेकिन मेरी हिम्मत मेरी साथी बनी।