पांच नक्षत्रों का महायोग.. कारोबार में उन्नती के लिए इस गुरुवार जरूर करें ये काम, कभी नहीं होंगे निराश
नक्षत्रों का राजा माना जाने वाला पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में आठवां स्थान पर आता है। इस साल 22 फरवरी गुरू पुष्य योग के साथ इसे और भी शुभ फलदायक माना जा रहा है। गुरूवार को होने के कारण यह योग अति शुभ बन गया है। इस दिन सोना चांदी, भूमि वाहन और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं की खरीददारी करने की मान्यता है। ऐसा करने से लंबे समय तक सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। इस विवाह को छोड़कर सारे शुभ कार्य मान्य है।
पुष्य नक्षत्र में विवाह है वर्जित
शास्त्रों के अनुसार पुष्य नक्षत्र को विवाह नहीं करना चाहिए। पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह के लिये वर्जित माना गया है। शास्त्र के अनुसार ब्रह्माजी ने अपनी पुत्री शारदा का विवाह गुरु पुष्य के साथ करने का प्रण किया था किन्तु ब्रह्माजी स्वयं ही आसक्त हो गए और उन्होंने गुरु पुष्य को शाप देकर विवाह के लिए परित्यक्त कर दिया। विवाह करने से दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
गुरू पुष्य नक्षत्र में पांच योग का संगम
22 फरवरी को गुरुवार होने की वजह से इसे गुरू पुष्य नक्षत्र कहा जा रहा है। यह योग सूर्योदय से प्रारंभ शाम 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। संयोग से इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, रवि योग, सौभाग्य और शोभन योग का संयोग भी बन रहा है। पंच शुभ योग के मिलन से इसे अधिक फलदायी माना जा रहा है।
पुष्य नक्षत्र का महत्व
ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश दास ने बताया कि पुष्य नक्षत्र के उदय होने पर शुभ कार्य करना बहुत शुभ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र के दौरान चंद्रमा कर्क राशि में स्थित होता है। बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है। इसके अलावा चंद्रमा अन्य किसी राशि का स्वामी नहीं है। चंद्रमा धन का देवता है। इसलिए पुष्य नक्षत्र को धन के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है। इसलिए सोना, चांदी और नए सामानों की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र माना जाता है। इस शुभ योग में शुरू किया गया कारोबार खूब फलता फूलता है।