दुर्ग लोकसभा का चुनावी जंग.. यहां बीजेपी-कांगेस के लिए सिरदर्द है तीसरी पार्टी, देखिए स्पेशल रिपोर्ट
संसदीय सीट पर अब तक किसी भी गैर दलीय प्रत्याशी की जीत नहीं हुई है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान पर उतरकर राजनीतिक दलों का गणित जरूर बिगाड़ते रहे हैं। इसका प्रमाण वर्ष 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव है। वर्ष 2009 के पंद्रहवें लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के बीच जीत हार का फैसला केवल 1.10 फीसदी मतों के अंतर से हुआ था, जबकि वोट काटू प्रत्याशियों ने 37 फीसदी के अधिक मत अपने नाम किया था। इसी तरह वर्ष 2014 में 1.33 फीसदी मतों के अंतर से निर्णय हुआ। जबकि 10.69 वोट निर्दलीय व छोटे दल के प्रत्याशी ले उड़े। राज्य निर्माण के बाद पिछली लोकसभा एकमात्र ऐसा चुनाव रहा जिसमें वोट काटू प्रत्याशियों से ज्यादा मतों के अंतर से हार-जीत का फैसला हुआ।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच रहा, लेकिन मंच के प्रत्याशी ताराचंद साहू व अन्य ने भी तगड़ी चुनौती प्रस्तुत की। संकीर्ण मुकाबले में भाजपा के सरोज पांडेय ने 9954 यानि 1.10 फीसदी मत से जीत पाईं। चुनाव में भाजपा के पक्ष में 31.27 प्रतिशत मत पड़े, वहीं कांग्रेस को 30.17 प्रतिशत मतों से संतोष करना पड़ा। इसके विपरीत 37 फीसदी से अधिक मत निर्दलियों के खाते में रहा। इनमें से 28.92 फीसदी मत अकेले निर्दलीय प्रत्याशी ताराचंद साहू ने अपने नाम किए। वर्ष 2014 में आमने-सामने का मुकाबला है। इस बार कांग्रेस के ताम्रध्वज जीते लेकिन फैसला इस बार भी केवल 1.33 फीसदी 16848 मतों से हुआ। इस बार भी 10.69 फीसदी वोट निर्दलीय व दूसरे दल के प्रत्याशी उड़ा ले गए।
2019 में मोदी लहर में मुकाबला एकतरफा
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सीट पर मोदी लहर के कारण मुकाबला एकतरफा हो गया। इसके कारण छोटे दल व निर्दलीय प्रत्याशी खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। यह राज्य निर्माण के बाद का पहला अवसर रहा जब छोटे व निर्दलीयों के मतों के अंतर से ज्यादा वोटों से चुनाव का फैसला हुआ।
इस बार 12 निर्दलीय व 10 छोटे दल के प्रत्याशी
इस बार भी प्रारंभिक तौर पर क्षेत्र में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अभ्यर्थियों की बीच संकीर्ण मुताबले की स्थिति दिख रहे हैं। ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी पुराना प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहे तो राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की चुनावी गणित फिर गड़बड़ा सकती है। इस चुनाव में 3 राष्ट्रीय पार्टियों के साथ 10 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के व 12 निर्दलीय प्रत्याशी हैं।
आप, बसपा भी मुकाबले में प्रभावी
संसदीय सीट पर चुनावों में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के अलावा आम आदमी पार्टी व बसपा की उपस्थिति भी उल्लेखनीय रही है। 2009 में मंच के ताराचंद साहू के अलावा बसपा ने जीत हार के अंतर से दोगुना 17 हजार 760 वोट हासिल किए। 2014 में आप ने जीत हार के अंतर से ज्यादा 16 हजार 529 वोट काटे।
पिछले चुनाव में भी बसपा ने 20 हजार 124 वोट प्राप्त किए।
2009 में मुकाबला त्रिकोणीय
वर्ष 2009 के चुनाव में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के प्रत्याशी ताराचंद साहू अब तक ऐसे प्रत्याशी रहे हैं, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे। उन्होंने चुनाव में 2 लाख 61 हजार 879 वोट पाए। यह मतदान का 28.92 प्रतिशत रहा। यह चुनाव में जीत दर्ज करने वाली प्रत्याशी सरोज पांडेय से 2.35 फीसदी कम था।
निर्दलीय व छोटे दल भी कम नहीं
वर्ष 2009 के चुनाव में निर्दलीय आनंद गौतम ने जीत हार के अंतर से ज्यादा 14 हजार 968 वोट काटे। इसी तरह वर्ष 2014 के चुनाव निर्दलीय अरुण जोशी ने अंतर से मामूली कम 16 हजार 529 वोट उड़ा लिए। 2014 में बीएसपी 15 हजार 600, एसयूसीआी 10 हजार 371 और आप 17 हजार 455 वोट प्राप्त किए।