गरीब बच्चों को शिक्षित करना बनाया जिंदगी का मकसद
आज शिक्षा सभी का अधिकार है और इसी अधिकार के लिए हर्षवर्धन नगर, भोपाल की दिव्या यादव पिछले चार वर्षों से निरंतर प्रयास कर रही हैं। दिव्या केवल झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा ही प्रदान नहीं रही हैं, बल्कि लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम भी सिखा रही हैं। दिव्या बताती हैं कि उनकी पाठशाला की शुरुआत 5 बच्चों से हुई थी और अब बड़ी संख्या में बच्चे उनकी कक्षा में शामिल होते हैं।
बचपन से देखा संघर्ष
दिव्या कहती हैं कि 14 साल की उम्र में मां का साया सिर से उठ गया था। मां के बिना जीवन जीना बड़ा ही मुश्किल होता है। यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं। जब मैं ऐसे बच्चों को देखती जिनके माता-पिता नहीं हैं तो मन पसीज जाता। मैं सोचती कि इनके माता-पिता तो वापस नहीं ला सकती, लेकिन इनके लिए कुछ तो कर सकती हूं इसलिए मैंने इन्हें पढ़ाने के बारे में सोचा। कोरोना के कारण देशभर में लॉकडाउन लगा तो सुविधाओं के अभाव में झुग्गी- झोपड़ी में रहने वाले बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई इसलिए मैंने इन्हें शिक्षित करने के लिए अप्रेल, 2020 में एक एनजीओ की शुरुआत की।
समझाया महत्त्व
दिव्या प्रतिदिन झुग्गी क्षेत्रों में निशुल्क पाठशालाएं चलाती हैं। बच्चों को पाठशाला तक लाना संघर्षपूर्ण रहा। पहले बच्चों को पढ़ाई के लिए राजी करना पड़ा, फिर उनके माता-पिता को शिक्षा का महत्त्व समझाना पड़ा। कई बार समस्याएं आईं, लेकिन दिव्या ने लक्ष्य को नहीं छोड़ा। दिव्या न केवल शिक्षा की दिशा में काम कर रही हैं, बल्कि मासिक धर्म स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और बाल सुरक्षा जैसे जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करती हैं। उनकी यह समर्पित मेहनत और समाज के प्रति सेवाभाव प्रेरणादायक है।