CG Election: छत्तीसगढ़ में 15 से 20 दिसंबर के बीच हो सकती है चुनाव की घोषणा
छत्तीसगढ़ में नगर निगम चुनाव की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। निर्वाचन आयोग की तैयारी भी अब लगभग पूरा होने वाला है। जिसके बाद चुनाव तारीखों की घोषणा होगा। बता दें कि इस बार प्रदेश के 14 में से 10 नगर निगमों में ही चुनाव होगा। इसके अलावा नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भी चुनाव होंगे। इधर चुनाव को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली है। दोनों ही पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुट गई है।
15—20 दिसंबर के बीच चुनाव की घोषणा की संभावना
प्रदेश में निकाया चुनाव की घोषणा जल्द ही की जा सकती है। अनुमान लगाया जा रहा है। निवार्चन आयोग 15 से 20 दिसंबर के बीच ही चुनाव की घोषणा कर सकती है। 11 दिसंबर के आसपास वोटर लिस्ट की अंतिम प्रकाशन हो सकता है। इसके बाद ही चुनाव की तारीखों का ऐलान होगा। बता दें कि पिछली बार 30 नवम्बर 2019 को निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी।
बीजेपी नए चेहरों को देगी मौका
निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी लगातार बैठकें कर रही है। पिछले दिनों हुई बैठक के बाद यह बातें सामने आई कि बीजेपी इस बार नए युवा चेहरों को मौका देगी। फिलहाल लॉटरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव रणनीति तेज होगी। इधर कांग्रेस में अभी से घमासान मचा हुआ है। चुनाव को लेकर हो रही बैठकों में नेताओं और पार्षदों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है। ऐसे में देखने होगा कि इस कोलाहल की स्थिति में कांग्रेस किस तरह चुनाव की रणनीति बनाती है।
आरक्षण नियम का भी राजपत्र में प्रकाशन
राज्य सरकार ने नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण के नियमों में बदलाव किया है। इसका फैसला कैबिनेट की बैठक में हुआ था। इसके बाद इसका राजपत्र में प्रकाशन हो गया है। कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक स्थानीय निकायों में आरक्षण को एकमुश्त सीमा 25 प्रतिशत को शिथिल कर अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा तक आरक्षण दिया जाएगा।
ऐसे निकाय जहां पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण कुल मिलाकर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है, वहां अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण उस निकाय में शून्य होगा। यदि अनुसूचित जाति, जनजाति का आरक्षण निकाय में 50 प्रतिशत से कम है, तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण होगा, परंतु यह आरक्षण उस निकाय की अन्य पिछड़ा वर्ग के आबादी से अधिक नहीं होगा। निकाय के जिन पदों के आरक्षण राज्य स्तर से तय होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष इत्यादि, उन पदों के लिए ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांत का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या तय की जाएगी।