देश में हर 10वां व्यक्ति हो रहा बहरेपन का शिकार, इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
हमारे आसपास का बढ़ता शोर सुनने की क्षमता को छीन रहा है। स्थिति ये है कि देश में हर 10वां व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक शोर के साथ ही इसके पीछे तंबाकू सेवन व धूम्रपान भी बड़ी वजह है। सुनने की बढ़ती समस्या का कारण जानने एम्स ने आईसीएमआर के सहयोग से एक अध्ययन किया।
इसके लिए एम्स ने रायपुर, दिल्ली, शिमला, शिलांग, बेंगलूरु व भावनगर के केंद्र में करीब 90 हजार लोगों की जांच की। हर केंद्र में लगभग 15 हजार लोगों की जांच हुई, जिसमें पाया गया कि 9.1 फीसदी लोगों में सुनने की समस्या है। इनके एक या दोनों कानों में किसी न किसी तरह की परेशानी है। जबकि 3.1 फीसदी लोगों मेे सुनने की समस्या काफी गंभीर है। लिहाजा ये विकलांग की श्रेणी में पहुंच गए। डॉक्टरों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में समस्या ज्यादा है। इसका बड़ा कारण आसपास के क्षेत्र में होने वाला शोर है। शहरी क्षेत्र में हर समय मानक से अधिक शोर रहता है।
पहले 45 वर्ष के बाद आती थी समस्या, अब कोई सीमा नहीं रही
सिम्स की ईएनटी विभाग की एचओडी डॉ. आरती पांडेय के अनुसार आमतौर पर पहले 45 साल के बाद लोगों में सुनने की समस्या धीरे-धीरे कम होती जाती थी। लेकिन अब वाहनों व मोबाइल के चलते व ध्वनि प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि लोग असमय बहरेपन का शिकार को रहे हैं। इससे बच्चे और युवा भी शामिल है। तंबाकू के सेवन के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। यह हमारे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। आंकड़ों के मुताबिक बिलासपुर के सिम्स, जिला अस्पताल में हर रोज ऐसे औसतन 10 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
बढ़ते शोर और तंबाकू सेवन से लोग सुन रहे ‘ऊंचा’
यूं तो बहरेपन के कई कारण हो सकते हैं, वर्तमान में सबसे बड़ा कारण शोर माना जा सकता है। अध्ययन में ये बात सामने आई है कि गावों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में ज्यादा कान से पीड़ित मरीज सामने आ रहे हैं। इसके अलावा तंबाकू व धूम्रपान भी एक कारण है, जिससे नर्वस सिस्टम खराब होकर बहरेपन की ओर धकेल देता है। इससे बचने की जरूरत है।
डॉ. नितिन नागरकर, पूर्व डायरेक्टर व ईएनटी सर्जन एम्स, रायपुर