रायपुर सेंट्रल जेल में कैदियों की परीक्षा, तिहाड़ के बाद यहां सबसे ज्यादा बंदी कर रहे पीजी की पढ़ाई

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद कैदी शिक्षित होते जा रहे हैं। साथ ही यहां संस्कृति की अनूठी पाठशाला भी संचालित की जा रही है..

सेंट्रल जेल रायपुर के कैदियों को परीक्षा देने बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उनके लिए जेल में ही परीक्षा केंद्र बनाया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य ओपन स्कूल एनआईओएस, छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम्, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता दी गई है।

जेल को बनाया परीक्षा केंद्र

रायपुर जेल में शिक्षा सत्र 2024-25 में पहली कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक 291 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं। उनके लिए संबंधित शिक्षा संस्थानों, बोर्ड और विश्वविद्यालय द्वारा रायपुर सेंट्रल जेल में विशेष रूप से परीक्षा केंद्र भी बनाया गया है। ताकि सजा काटने के साथ ही शिक्षा से कैदियों में ज्ञान की अलख जागेगी और अपराध से दूर रहने की प्रवृत्ति आएगी। जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य ने बताया कि जेल में कैदियों को शिक्षित करने के लिए अनेक पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। तिहाड़ जेल के बाद रायपुर सेंट्रल जेल में सबसे ज्यादा कैदी पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं।

जेल की संस्कृत पाठशाला

जेल में शुरू की गई संस्कृत पाठशाला सबसे अनूठी है। यहां 68 कैदी विभिन्न अनुष्ठान, पूजा के दौरान श्लोक के साथ ही धारा प्रवाह संस्कृत बोलते और लिखते हैं। उनके लिए गायत्री परिवार और शिक्षक द्वारा संस्कृत का नियमित रूप से अध्ययन कराया जाता है। विभिन्न त्योहारों पर पूजा भी करते हैं। भारत साक्षरता मिशन अंतर्गत (उल्लास) 39 बंदी परीक्षार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। प्राथमिक व माध्यमिक कक्षा में 72 से ज्यादा कैदी पढ़ाई कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ ओपन हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल परीक्षा में 68 बंदी परीक्षार्थी सम्मिलित हो रहे हैं।

बीए और एमए में 100 से ज्यादा कैदी

बीए और एमए में 100 से ज्यादा कैदी हैं। समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, हिंदी साहित्य अंग्रेजी साहित्य, लोकप्रशासन सहित अनेक विषयों पर कैदी पीजी कर रहे हैं। इसी तरह इग्नू के अनेक पाठ्यक्रमों में सैकड़ों कैदी अध्ययनरत हैं। उक्त सभी कैदियों के लिए संबंधित कक्षाओं की 11663 पुस्तकें भी पुस्तकालय में रखी गई हैं। जेल शिक्षकों के अलावा विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापकों के द्वारा तथा समय-समय पर विषय विशेषज्ञ के द्वारा पाठ्यक्रम अनुसार कैदियों को मार्गदर्शन दिया जा रहा है। साथ ही प्रत्येक बैरक में कैदियों को शिक्षा देने के लिए दो-दो कैदियों को सांकेतिक साक्षरता सेना (देख-रेख) के रूप में नियुक्त किया गया है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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