लोकसभा चुनाव से पहले बीजापुर में लाल आतंक का खौफ! दिनभर घर में रहे लोग, दुकानों पर लटके ताले, जानें पूरा मामला
बंद के दौरान सभी दुकानें बंद रही, रोड पर सन्नटा पसरा रहा, यात्री बसों के पहिए थमे रहे, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
पश्चिम बस्तर डिवीजन माओवादी कमेटी के द्वारा कड़े शब्दों में बंद का आह्वान किया। जिसका असर बीजापुर, भोपालपटनम, आवापली, भैरमगढ़ ,मद्देड, सहित अंदरूनी इलाकों में देखने को मिला। बंद के दौरान सभी दुकानें बंद रही, रोड पर सन्नटा पसरा रहा, यात्री बसों के पहिए थमे रहे, जिससे यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
माओवादियों ने प्रेस नोट जारी कर 30 मार्च को बंद का आव्हान किया था जिसमें चेतावनी दी गई थी कि व्यापारी अगर अपनी दुकानें खोले और रोड पर वाहन चली तो उसकी जिम्मेदारी स्वयं की होगी। नक्सली चेतावनी के चलते शनिवार को छोटी-छोटी दुकानें भी बंद रही। इस बार बंद का असर तगड़ा देखने को मिला।
जगदलपुर, रायपुर से आकर हलटिंग करने वाली बसे एक दिन पहले से नहीं आई। रोड पर भारी वाहनों, बसों के पहिए थमे नजर आए। सम्पूर्ण जिला पूरी तरह से बंद रहा। जगदलपुर से आने वाली बसे गीदम तक ही आकर रुक गई। नक्सलियों का आरोप है कि जनवरी से लेकर अब तक 15 बेकसूर आदिवासियों की हत्या हुई है।
फर्जी मुठभेड़ करके पुलिस ने ग्रामीणों को नक्सली बता दिया है। इसके विरोध में बंद बुलाया गया है। वहीं बंद को देखते हुए क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। बंद के दौरान अक्सर सड़क जाम करने और पेड़ काटने की घटनाएं देखने को मिलती थी लेकिन देर शाम तक ऐसी किसी भी तरह की घटना सामने नहीं आई।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, तैनात थी पुलिस बल
बंद को लेकर पुलिस बल चप्पे चप्पे पर तैनात थी। रात भर पुलिस पेट्रोलिंग करती रही। नक्सली कोई घटना को अंजाम ना दे इसलिए पुलिस पूरी मुस्तैदी से जगह-जगह बल लगाई थी। बीजापुर कोतवाली में एक दिन पहले व्यापारियों की बैठक रखी गई जिसमें व्यापारियों से दुकानें खोलने की अपील की।
सरकारी शराब दुकान में भी बंद का असर देखने को मिला। मंदिरा दुकान में ताला लगा हुआ था। सुबह से शराब दुकान बंद होने से शराब शौकीन दारू के लिए भटकते नजर आए लेकिन कोचियों के पास दारू की कतार लगी हुई थी।