अपने पैशन को पहचानें व बेहतर करने की दिशा में मेहनत करें
आसनसोल. वर्ष 2008 में जब अभिनव बिंद्रा ने देश के लिए स्वर्ण पदक जीता, उसी वर्ष मेरा जन्म हुआ। मेरे पिता ने उनकी प्रेरणा से मेरा नाम अभिनव रखा, क्योंकि उन्हें शूटिंग स्पोर्ट्स बहुत पसंद है, लेकिन आर्थिक परेशानियों के कारण वह खुद इस क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाए। उनका सपना है कि मैं इस खेल में उत्कृष्टता हासिल करूं और वे मेरे कोच और मेंटर हैं। उन्होंने न सिर्फ मुझे इस खेल में दिशा दी, बल्कि विफलताओं से उबरकर आगे बढ़ने का साहस भी दिया। ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाना मेरा लक्ष्य है।
सेकंड हैंड किट से खेलते थे
आर्थिक परेशानियों के कारण कई बार ट्रायल्स के दौरान मेरे पास सेकंड हैंड किट होता था, क्योंकि अच्छी क्वालिटी का किट बहुत महंगा था, जिसे परिवार खरीद नहीं सकता था। रोजाना 3-4 घंटे की शूटिंग प्रैक्टिस आसान नहीं थी, क्योंकि इसके लिए सिर्फ शारीरिक फिटनेस ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी खास ध्यान देना पड़ता है। अच्छे प्रदर्शन के लिए दोनों की अहमियत समान है।
सदैव बेहतर करने का प्रयास करें
जब परिवार का साथ होता है, तो जीवन के हर पड़ाव को पार करना आसान हो जाता है। मैं चार साल की उम्र से कराटे और फुटबॉल खेलता हूं और सात साल की उम्र से शूटिंग कर रहा हूं। युवाओं को मेरा यही संदेश है कि अपने पैशन को पहचानें और उसे बेहतर करने की दिशा में मेहनत करें। कठिन परिश्रम और लक्ष्य पर दृढ़ता से ही सफलता मिलती है।