बम्लेश्वरी मंदिर में पूजा कर पूर्व CM बघेल ने शुरू की चुनाव प्रचार, कहा- महंगाई व बेरोजगारी के मुद्दे पर लड़ेंगे चुनाव
CG Lok Sabha Election 2024: निर्वाचन आयोग ने भले ही लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित नहीं की है पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से चुनावी तैयारी तेज कर दी गई है। प्रत्याशी घोषित होने के बाद दोनों दल के नेता ग्राउंड जीरों में पहुंचने लगे हैं।
प्रत्याशी बनाए जाने के बाद पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रविवार को राजनांदगांव पहुंचे। डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी देवी के दरबार में मत्था टेका। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वे महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही छत्तीसगढ़ की अस्मिता और स्वाभिमान के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। इन्हीं मुद्दों के साथ पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से पांच साल तक किए गए कार्यों को मतदाताओं के बीच रखेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बघेल सबसे पहले राजनांदगांव पहुंचे। यहां प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि वे पहले असमंजस में थे कि हाईकमान चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी देगी या फिर चुनाव लड़वाएगी पर टिकट फाइनल होने के बाद स्पष्ट हो गया कि हाईकमान क्या चाह रहा है।
बताया कि राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस कमेटी की ओर से केवल भूपेश बघेल का सिंगल नाम भेजा गया था। प्रदेश कमेटी ने भी इस पर मुहर लगाई और हाईकमान को सौंप दिया। हाईकमान ने चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी है। इसलिए मैदान में उतरे हैं।
बघेल ने कहा कि आज देश में महंगाई और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है पर केन्द्र सरकार इस पर ध्यान ही नहीं दे रही है। महंगाई इस कदर बढ़ी हुई है कि हर वर्ग का बजट बिगड़ा हुआ है। युवा रोजगार के लिए तरस रहे हैं। वहीं देश में कोरोना काल के बाद से रेल परिवहन की स्थिति बिगड़ी हुई है जो आज तक संभल नहीं पाई है।
मोदी गारंटी की बात करते हैं और यहां ट्रेनों की टाइमिंग का ठिकाना नहीं है। बघेल ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में जो योजनाएं थीं, उसे भाजपा ने बंद कर दिया और लोग परेशान व निराश हो गए हैं।
वादा पूरा नहीं किया
बघेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से धान खरीदी में 31 सौ रुपए देने वादा किया है पर अंतर की राशि आज तक नहीं आई है। महतारी वंदन योजना भी केवल चुनाव तक है। इसके बाद राशि आएगी या नहीं, इसका ठिकाना नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राजनांदगांव से बचपन से संबंध रहा है। दुर्ग और राजनांदगांव एक हुआ करते थे। बाद में राजनांदगांव अलग जिला बना है। राजनांदगांव से सतत संपर्क बना रहा है।