यहां देवी-देवताओं ने किया प्रेम विवाह, माता-पिता को तोहफे में मिली सत्ता, जानें अनोखा रिवाज
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के खोरा गांव में रविवार को अनोखा विवाह हुआ। ये शादी आम नहीं थी। क्योंकि इसमें आम आदमी की नहीं बल्कि देवी-देवताओं की थी। वह भी प्रेम विवाह। जितनी अनोखी शादी, तोहफा भी उतना ही शानदार था। उपहार में माता-पिता, साला, डेढ़साला, नानी, बुआ, मामा आदि को सत्ता सौंपी गई। दरअसल, सत्ता भेंट करना आदिवासी समाज में विवाह के दौरान निभाई जाने वाली एक परंपरा है। इसमें उपहार के तौर पर नकद रुपए और कपड़े दिए जाते हैं। आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग इस अनोखे आयोजन के साक्षी बने। इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति का उत्साह देखते बनता था।
देवी देवताओं में भी प्रेम विवाह
सामान्यत: पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ शादियां होती है। प्रेम प्रसंग से जुड़कर भी शादियां होती है। बस्तर अंचल में बसने वाले आदिवासियों के देवी देवताओं में भी प्रेम करने के साथ विवाह करने की परंपरा है। मानव जाति में विवाह के पूर्व जो रस्में रिवाजें होती है, ऐसे ही देवी-देवताओं के विवाह के पूर्व भी रस्में पूरी की जाती हैं। शनिवार को खोरा गांव में परमाह मुदिया की पत्नी दाकिड़ सेड़ो की स्थल में प्रेम विवाह यानि पैठू विवाह के पूर्व की रस्म हुई। इसमें सबसे पहले परमाह मुदिया देव और पत्नी दाकिड़ सेड़ो की दोनों पुत्रियों का बारी-बारी से नामकरण हुआ। देव गायता पुलिसिंग गावड़े ने दोनों पुत्रियों का नाम चुना। एक पुत्री का नाम फुलकुंवरी, दूसरी का नाम जलकुंवरी रखा गया। फुलकुंवरी खंडा डोकरा की पत्नी होगी।
हुई ये रस्म
जलकुंवरी जनकुंवर देव की पत्नी होगी। नामकरण के बाद आदिवासी परंपरा अनुसार सत्ता पटाने की रस्म हुई। सत्ता पटाने और राशि की व्यवस्था देवी-देवता नहीं करते। ये व्यवस्था इन्हें देव मानने वाले वंशज करते हैं। इस तरह खंडा डोकरा की ओर से मंडावी परिवार और जनकुंवर देव की ओर से दर्रो परिवार ने सत्ता के लिए कपड़े और नगद राशि की व्यवस्था की और समाज की परंपरा अनुसार सत्ता नियम को पूरा किया।
माता-पिता से कराई शिनाख्त
खंडा डोकरा देव समिति के अध्यक्ष रामसिंह नाग, पुजारी रैनूराम नाग, सत्यनारायण मंडावी ने बताया, ग्राम मेड़ो जीवराज के नाम परमाह मुदिया देव और दाकिड़ सेड़ो की पुत्री दिखाई दी। इसकी पहचान देव स्थल में खंडा डोकरा से कराई गई। खंडा डोकरा ने अपनी पत्नी स्वीकार किया। फिर पिता परमाह मुदिया को बताया गया। हमने परमाह मुदिया देव और उसकी पत्नी दाकिड़ सेड़ो से जांच-पड़ताल की। दोनों ने इन्हें अपनी बेटी कहा।
परंपरा के अनुसार भेंट की सत्ता
ग्राम खोरा में 27 अप्रैल को हमारे देव के पैठू के रूप में आई देव की फुलकुंवरी के रूप में नामकरण हुआ। हमने परमाह मुदिया देव और दाकिड़ सेड़ो सहित अन्य सभी को आदिवासी परंपरा अनुसार सत्ता भेंट की। अब ग्राम धनोरा में खंडा डोकरा की फुलकुंवरी के साथ देवी देवता और भूमकाल की उपस्थिति में विवाह संपन्न कराएंगे।
प्रेम संबंध से पैठू
खंडा डोकरा के साथ फुलकुंवरी को भी देव मानेंगे। इधर, जनकुंवर देव के पूजक दर्रो परिवार के रामेश्वर दर्रो, तुकाराम दर्रो, हीरऊ दर्रो, बीसऊ दर्रो, शिव दर्रो ने बताया, परमाह मुदिया देव और दाकिड़ सेड़ो की पुत्री हमारे देव जनकुंवर के प्रेम संबंध से पैठू आने की जानकारी हुई। हमने भी परमाह मुदिया देव और दाकिड़ सेड़ो से पड़ताल की। शनिवार को मामा, तड़यूह भाई की उपस्थिति में विवाह की रस्म अदा की गई। हमारे देव जनकुंवर की पत्नी का नाम जलकुंवरी नाम से पहचान कराई गई है।
गांववालों ने खुद को बताया सेवक
गांववालों ने बताया कि अब धूमधाम से देव रीति-रिवाज गोंडी परंपरा अनुसार विवाह करेंगे। जनकुंवर और जलकुंवरी हमारे देवी देवता हैं। हम इनके सेवक हैं। हम पर इन दोनों का आशीर्वाद बना रहे। इनकी शक्ति से हमें और हमारे परिवार को सुख-समृद्धि मिले। इस अवसर पर ग्राम खोरा पुलिसिंग गावड़े गद्दी गायता, सचिव रामजी गावड़े, अध्यक्ष कंवल गावड़े, संचालक कपिल गावड़े, संतू गावड़े, सुखई ग्राम एवं देव गायता सदन पुड़ो, मरकामचुआ देवगायता सुकदेव कुमोटी, ग्राम गायता लक्ष्मण कुमोटी, आनंद माहवे, ग्राम हफरा धरम कोरचे, ग्राम धनोरा देव पुजारी रैनूराम नाग, अध्यक्ष रामसिंह नाग, ग्राम मेड़ो सत्यनारायण मंडावी, संजीव मंडावी, महेश मंडावी, अनुप मंडावी, मेहरसिंह कोमरा, अंजोरी देहारी, भगवानी, हेमनारायण, गिरधारी, संजय, धनाराम सहित बड़ी संया में परमाह मुदिया देव, दाकिड़ सेड़ो, खंडाडोकरा देव, जनकुंवर देव के वंशज और भूमकाल आदि मौजूद रहे।
दोनों देवियों ने अपनी पसंद से चुना पति
परमाह मुदिया देव की पत्नी दाकिड़ सेड़ो की सेवा करने वाले गायता पुलसिंग गावड़े ने बताया, महिला-पुरूष और युवक-युवतियों की तरह देवी-देवताओं के पुत्र-पुत्री भी अपने पसंद के देव पुत्र-पुत्रियों से प्रेम करते हैं। गोंडी रिवाजों से विवाह करते हैं। मैं दाकिड़ सेड़ो की सेवा करता हूं। इनकी दो पुत्रियों में एक फुलकुंवरी ने खंडा डोकरा को अपना पति चुना। दूसरी जलकुंवरी ने जनकुंवर देव को अपना पति स्वीकारा। आज हमें खंडा डोकरा देव के वंशज मंडावी परिवार और जनकुंवर देव के वंशज दर्रो परिवार ने सत्ता दिया। हमें कपड़े और राशि मिली। बेटी की सत्ता लेना हर मां-बाप का हक है। सत्ता लेकर मैं और परिवार खुश हैं। हमारे देव की दोनों देव पुत्रियां अच्छे से रहें। मंडावी और दर्रों परिवार को सुख-समृद्धि दें। यही मेरी आशा है। देवी-देवताओं की शक्ति अपार है।