छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कैसे हुई बुरी हार, समीक्षा बैठक में खुली नेताओं की पोल
लोकसभा चुनाव में छह राज्यों में बड़ी हार के कारण तलाशने के लिए बनी कांग्रेस की फेक्ट फाइडिंग कमेटियों को नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक में हार के लिए कमजोर संगठन, खराब उम्मीदवार और नेताओं-कार्यकर्ताओं का जनता से कटने को जिम्मेदार बताया है।
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, दिल्ली व ओडिशा में हार के कारण तलाशने के लिए ये कमेटियां बनाई थीं। इसके अलावा दिल्ली में शराब घोटाले के आरोपों के चलते आप के साथ चुनाव लडऩा कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ है। कर्नाटक में रिश्तेदारों के चुनाव में उतारने के साथ आपसी कलह को हार का बड़ा कारण बताया जा रहा है। तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को फ्री हेंड देकर अन्य नेताओं की उपेक्षा करना भारी पड़ गया।
कमेटियां जल्द ही आलाकमान को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने जा रही है, जिसके बाद कई प्रदेशों के संगठनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इन छह राज्यों के अलावा पार्टी पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में पार्टी का खाता नहीं खुलने से चिंतित है।
छत्तीसगढ़: नेताओं का अहंकार, घोटालों से बदनामी
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेस में सबसे अच्छा माहौल था, लेकिन सबसे बुरी हार यही मिली है। इसकी वजह पार्टी के कई बड़े नेताओं का अहंकारी होकर कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखना। यह नेता भाजपा से ज्यादा अपने प्रतिद्वंदी नेताओं को हराने में जुटे रहे। साथ ही सरकार रहते हुए कई घोटालों के आरोपों की बदनामी का असर विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में दिखा। जबकि एक-दो सीटों पर खराब उम्मीदवार उतारने का कारण भी बताया जा रहा है।