डर लगा, लेकिन हारा नहीं, मिलेट कैफे से बनाई पहचान

कोरोना के समय जब परिवार के पास नहीं जा पाया तो लगा कि अब नौकरी नहीं करूंगा अपना ही बिजनेस करुंगा भले ही कितनी ही परेशानी आए। उस समय यह भी लगा कि ऐसा काम करना है कि समाज को भी कुछ दे सकें।

रायपुर के रहने वाले 30 साल के अनुबंध पाठक कहते हैं कि मैं होटल इंड्रस्टीज से जुड़ा था तो खानपान की जानकारी थी और मिलेट्स पर काम कर रहा था। उस समय पता चला कि भारत से ही पूरे विश्व में मिलेट्स जाता है और हमारे खिलाड़ी भी इसे ही खाते हैं। भविष्य इसी का है इस कारण इसी दिशा में आगे बढ़ा। उसके बाद साल 2020 में सरकारी मेले के जरिए मिलेट्स से बने व्यंजन के स्टॉल लगाना शुरू किया और 2020 के अंत में रायपुर में ही मिलेट्स कैफे के नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया। शुरुआती दौर में सरकार से भी सहयोग मिला। शुरू में बहुत दिक्कते आई। पापा से आर्थिक मदद मांगी। मन में डर भी लग रहा था कि मैं सफल हो पाऊंगा या नहीं?

घर के पास रहते थे ताज के जीएम

जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो हमारे घर के पास होटल ताज के जीएम रहते थे उनकी लाइफ स्टाइल और फिटनेस को देखकर में बहुत प्रभावित हुआ और उसी समय ठाना की होटल मैनेजमेंट का कोर्स करना है फिर आईएचएम औरंगाबाद से होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और 7 साल होटल मेरिएट ग्रुप में हैदराबाद, मुंबई और बेंगलूरु में काम किया, लेकिन कोरोना के समय जब परिवार से नहीं मिल पाया तो नौकरी छोड़ दी।

4 आइटम से की कैफे की शुरुआत अब 50 हो गए

कैफे की शुरुआत 4 आइटम से की और 2 साल के अंदर ही हम 50 आइटम सर्व करने लगे। शुरू में लोगों को भी लगता था कि मिलेट्स में क्या ही बनाकर दे पाएंगे , लेकिन हमने मिलेट्स के साउथ इंडियन. कॉंटीनेंटल, चाइनीज और इंडियन फूड के कई आइटम शुरू किए। इसके अलावा हमने रागी की ब्रेड, कुकीज और ब्राउनी बनाना शुरू किया। लोगों ने इसे बहुत पसंद किया और इस तरह हमारे कैफे ने राजधानी में अपनी अलग पहचान बनाई।

अनुबंध पाठक

अनुबंध कहते हैं कि अब हम फ्रेंचाइजी देने लगे हैं अभी मुंबई, भोपाल और नागपुर में फ्रेंचाइजी दे रहे हैं जल्द ही दुबई में भी हमारी फ्रेंचाइजी खुल जाएगी। लोगों को मिलेट्स का महत्व समझ आ रहा है और भविष्य भी मिलेट्स का ही है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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