महिलाओं की सेहत सुधरे तो 18% ज्यादा मुनाफा, पढ़ें ये स्पेशल रिपोर्ट
जयपुर. घर-ऑफिस में काम के दबाव के चलते पुरुषों की तुलना में कामकाजी महिलाओं का 25 फीसदी समय स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से व्यर्थ जाता है। यदि नियोक्ता कंपनियां महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं पर ध्यान दें तो 22 फीसदी तक उत्पादन और 18 फीसदी तक ज्यादा मुनाफा हो सकता है। कामकाजी महिलाओं की स्थिति और उनके असर पर दो ताजा अध्ययनों में यह निष्कर्ष सामने आया है। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने निजी क्षेत्र की कंपनियों से महिलाकर्मियों को यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सुविधाएं देने की सलाह भी दी है।
मैकिन्से हैल्थ इंस्टीट्यूट और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम सेंटर फॉर हेल्थ एंड हैल्थकेयर ने अपने संयुक्त अध्ययन (2024) में महिलाओं के स्वास्थ्य के कारण उनके कामकाजी समय के नुकसान का खुलासा किया है। खास बात है कि 190 मिलियन महिलाएं प्रौद्योगिकी, डेटा, आपूर्तिकर्ता, मैन्यूफैक्चरिंग आदि कार्यों से जुड़ी हैं लेकिन कंपनियों द्वारा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर उपेक्षित हैं।
500 दिन ज्यादा काम, एक खरब डॉलर का योगदान
अध्ययन के अनुसार कंपनियां महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दें तो हर महिलाकर्मी के जीवनकाल में औसतन 500 कामकाजी दिन बढ़ सकते हैं। इन्हें दुनिया की महिलाकर्मियों के कार्य में जोड़ दें तो वर्ष 2040 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना एक खरब डॉलर का इजाफा हो सकता है। शोध में यह भी कहा गया कि महिलाओं के स्वास्थ्य में निवेश किया गया हर डॉलर करीब तीन गुना तक रिटर्न दे सकता है।
न्यायालय भी जता चुके हैं चिंता
हाल ही देश के सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं के पीरियड्स के दौरान असुविधाओं को लेकर चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट की एक महिला न्यायाधीश ने तो यहां तक कहा कि पुरुषों को भी पीरियड हों तभी वे महिलाओं का दर्द समझ पाएंगे। वहीं, राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस दौरान महिलाओं के लिए रेस्ट रूम की आवश्यकता को जरूरी बताया।
अस्पताल में भी भेदभाव
एक अध्ययन से पता चलता है कि दर्द के मामले में अस्पतालों में पुरुषों और महिलाओं के साथ अलग-अलग व्यवहार करते हैं। अस्पताल पहुंचने पर महिलाओं को बीमारी या दर्द में पुरुषों की तुलना में 10 फीसदी कम वरीयता दी जाती है। उन्हें ज्यादा इंतजार करना पड़ता है।
…तो 22 फीसदी तक बढ़ गया उत्पादन
जर्नल ऑफ बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स 2024 में प्रकाशित एवं 50 कंपनियों पर हुए एक अन्य अध्ययन में सामने आया है कि महिला कर्मियों को प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाली कंपनियों ने एक साल में 15-22% उत्पादन व 18 फीसदी अतिरिक्त मुनाफा कमाया।
वेतन में भी बड़ा अंतर
महिलाओं के साथ वेतन में भी भेदभाव होता है। अमरीकी व्हाइट हाउस तक में महिला कर्मियों को हर डॉलर पर पुरुषों की अपेक्षा 20 सेंट कम मिलते हैं। देश-दुनिया में महिलाकर्मी समान कार्य के लिए पुरुषों से औसतन 24% कम वेतन पाती हैं। टीमलीज डिजिटल रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला-पुरुष तकनीकी पेशेवरों के वेतन में औसतन 10-17 फीसदी अंतर है।