एक क्लिक में मिलेगी प्रदेश के पर्यटन स्थलों की जानकारी, IIT भिलाई को मिली जिम्मेदारी

भिलाई . छत्तीसगढ़ के पर्यटन को मजबूती देने अब आईआईटी भिलाई का योगदान होगा। प्रदेश की सभ्यता, सांस्कृतिक विरासत, जनजातीय ज्ञान और देशी आजीविका के क्षेत्रों में अनुसंधान को गति देने के लिए राज्य सरकार के संचालनालय पुरातत्व पर्यटन बोर्ड के साथ एमओयू किया गया है। प्रदेश के पर्यटन और पुरातत्व को बूस्ट देने के लिए आईआईटी भिलाई में अनुसंधान केंद्र, संस्कृति, भाषा और परंपरा केंद्र की स्थापना की गई है। समझौता ज्ञापन पर संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय के निदेशक और छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड के प्रबंध निदेशक विवेक आचार्य, आईएफएस और आईआईटी भिलाई के डायरेक्टर प्रो. राजीव प्रकाश, संतोष बिश्वास, डीन, अनुसंधान एवं विकास ने हस्ताक्षर किए।
जनजातियों पर होगी रिसर्च
छत्तीसगढ़ में कई अनूठी जनजातियां हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग कलात्मक प्रथाएं, परंपराएं और विरासत हैं, जिनमें आईआईटी भिलाई प्रमुख शोध संस्थान के तौर पर राज्य विकास के लिए पथ-प्रदर्शक के तौर पर काम करेगी। अगले कुछ समय में इसको लेकर आईआईटी कार्यक्रम रूपरेखा तैयार करेगी। विशेष परियोजना बनेगी जिसमें नए पर्यटन स्थलों की जानकारी और उन पर शोध का आगाज होगा।

संस्कृति और प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल
इस एमओयू के दौरान आईआईटी भिलाई के प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने कहा कि, विकसित भारत 2047 के साझा उद्देश्य को साकार करने की दिशा में छत्तीसगढ़ शासन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना आईआईटी भिलाई के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि, सांस्कृतिक विरासत, जनजातीय ज्ञान और स्वदेशी आजीविका के क्षेत्रों में अनुसंधान को गति देने के लिए आईआईटी भिलाई में एक अंत:विषय अनुसंधान केंद्र, संस्कृति, भाषा और परंपरा केंद्र की स्थापना की गई है। इस केंद्र का उद्घाटन छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने किया है। पर्यटन बोर्ड के विवेक आचार्य ने कहा कि, छत्तीसगढ़ सरकार आईआईटी भिलाई को छत्तीसगढ़ के विकास के लिए प्रतिबद्ध हितधारक के रूप में पाकर खुश है। उन्होंने कहा कि इतिहास, संस्कृतिक और प्रौद्योगिकी के बीच कई तरह के तालमेल है।
पर्यटन स्थल हो सकेंगे अपग्रेड
छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों को बेहतर बनाने के लिए आईआईटी भिलाई परियोजना बनाएगा। जिसमें पर्यटन बोर्ड भी शामिल होगा। दोनों ही संस्थान साथ मिलकर सभी पर्यटन स्थलों के सुविधा विस्तार के साथ के लिए काम करेंगे। इसके मैनेजमेंट की रूपरेखा तैयार होगी। नए पर्यटन स्थलों की पहचान करने के साथ उन्हें डेवलप करने की कोशिश शुरू की जाएगी। इस कोशिश से जहां एक तरफ नए पर्यटन स्थल तैयार होंगे, वहीं इससे नए रोजगार और स्वरोजगार की पहचान की जा सकेगी।