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जनजातीय समुदाय सशक्त बनाने की पहल, इस योजना के तहत लोगों को मिल रहा लाभ, पढ़ें कैसे हुई इसकी शुरुआत

रायपुर। वैश्विक आध्यात्मिक परोपकारी मोहनजी ने छत्तीसगढ़ में जनजातीय विकास परियोजना की तैयारी की अपने संस्थापक मोहनजी के निर्देशन में काम करने वाले मोहनजी फाउंडेशन ने छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदाय के लिए एक सशक्तिकरण पहल की योजना बनाई है। यह मोहनपुर, झारखंड में मोहनजी फाउंडेशन और इसके सहयोगी संगठन, अम्मुकेयर चैरिटेबल ट्रस्ट की लोकोपरोपकारी गतिविधियों की तरह काम करेगा। इस योजना की तैयारी के साथ फाउंडेशन अपने पंख फैला रहा है, जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहा है और छत्तीसगढ़ के हजारों आदिवासी निवासियों के जीवन में उम्मीद ला रहा है।

सीईओ मधुसूदन राजगोपालन ने बताया, “हम समग्र सामुदायिक विकास के अपने टेम्पलेट के लिए छत्तीसगढ़ में काम शुरू करने को लेकर उत्साहित हैं। हमने दो दशकों तक कई देशों में सफलतापूर्वक ऐसा किया है।” उन्होंने आगे कहा, “हम दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, हमारा लक्ष्य आत्मनिर्भरता, गरिमा और गौरव के माध्यम से व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाने का एक समान परिवर्तनकारी प्रभाव पैदा करना है।”

2018 में, बिना बिजली वाले एक कमरे से, मोहनपुर साइट ने आदिवासी महिलाओं को कढ़ाई और सिलाई सिखाना शुरू किया। तब से इसका दायरा और पैमाना बढ़ गया है, अब यह अपने ब्रांड “अहिंसा इम्प्रिंट्स” के तहत उत्पाद बेच रहा है। फरवरी 2022 में, मोहनपुर में मोहनजी का आंगन भी स्थापित किया गया, जहां बच्चों को अंग्रेजी प्रशिक्षण, सप्ताहांत योग सत्र, कला कक्षाएं और खेल सहित पूरक शिक्षा प्रदान की जाती है। छत्तीसगढ़ परियोजना का लक्ष्य छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहल, पूरक शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, विकास कार्यक्रम और आध्यात्मिक व मानसिक कल्याण को शामिल करना है।

राजगोपालन के अनुसार, छत्तीसगढ़ में विस्तार की मोहनजी की योजना भौगोलिक विस्तार भर नहीं है। “यह करुणा और वैश्विक मानवतावाद की भावना का प्रतीक है, प्रेम और सहानुभूति में निहित सामूहिक कार्रवाई असमानता की खाई को पाट सकती है और एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकती है जहां दया और करुणा पनपे।”

राजगोपालन ने कहा कि उनका संगठन छत्तीसगढ़ में एक ऐसी साइट की तलाश कर रहा है जहां उपयुक्त सामाजिक और प्रशासनिक वातावरण हो। श्री राजगोपालन ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जिन समुदायों में हम अपनी सुविधाएं बनाते हैं, उनमें स्थानीय अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों का हित और समर्थन हो। स्पष्ट रूप से लागत सबसे महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि हमारा संगठन पूरी तरह से स्वयंसेवक-संचालित, सेवा-केंद्रित संगठन है। इसलिए, किसी खास जगह पर काम शुरू करने से पहले, हम यह सुनिश्चित करते हैं कि उसे सफल बनाने वाले वहां पहले से मौजूद हों।”

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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