राजद्रोह के आरोपी IPS जीपी सिंह लौटेंगे सर्विस पर, CAT ने रद्द की अनिवार्य सेवानिवृत्ति
रायपुर। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) से राहत मिलते ही अब छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी IPS जीपी सिंह अपनी पुलिस सर्विस में वापसी करेंगे । छत्तीसगढ़ सरकार ने जीपी सिंह पर 2022 में राजद्रोह का केस दर्ज किया था। इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। बाद में उन्होंने हाईकोर्ट से जमानत ले ली थी।जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी, जबकि अनकी सर्विस अबी 8 साल की और बची है। CAT ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलों को निराकृत कर बहाल किए जाने का आदेश दिया है।
सरकार ने राजद्रोह का केस कराया था दर्ज
राज्य की पूर्व कांग्रेस सरकार ने उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप लगाए थे और इसके लिए उन्हें 5 जुलाई को सस्पेंड कर दिया और 8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर CBI जांच की मांग की थी। इसके पहले साल 2021 में ACB ने सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्थानों पर छापा मारा था। इसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे। इसके बाद ACB ने जीपी सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली गई। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने IPS जीपी सिंह को भारत सरकार ने कंपलसरी रिटायर कर दिया था। तब जीपी सिंह की सेवा के 8 साल बचे थे।
यह आरोप लगे थे हैं जीपी पर
जीपी सिंह पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। फिलहाल वे जमानत पर हैं। जब जुलाई 2021 में GP सिंह के सरकारी आवास और अन्य ठिकानों पर छापा पड़ा तो ये बात सामने आई कि वो कुछ प्लानिंग कर रहे थे। इसे ही आधार बनाकर उन पर राजद्रोह का केस किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि सस्पेंड किए गए ADG सिंह सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे थे। विधायकों और अफसरों के खिलाफ भी डायरी में बातें मिली थीं।
5 पेज का डॉक्यूमेंट मिला
ACB ने अपनी जांच में जो कागज हासिल किए थे, उसके बाद दावा किया गया है कि जानबूझकर सरकार के खिलाफ बातें लिखी गईं। इससे लोगों के मन में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो और असंतोष का माहौल बने। अकेले जीपी सिंह के घर पर ही नहीं, बल्कि इनके दोस्त SBI के मैनेजर मणि भूषण के घर की तलाशी लेने पर भी 5 पेज का डॉक्यूमेंट मिला था। जिसमें अंग्रेजी में विधायकों और छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अलावा कुछ IAS अफसरों के खिलाफ भी बातें लिखी मिली थीं।
ACB के अफसरों ने लगाया था आरोप
जीपी सिंह उस वक्त छत्तीसगढ़ पुलिस में पुलिस एकेडमी का जिम्मा संभाल रहे थे। उससे पहले वो खुद ACB के चीफ रह चुके थे। ACB के अफसरों ने बताया था कि जीपी सिंह के खिलाफ अवैध वसूली, ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई गई, इसकी लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद ACB ने जांच शुरू की। खबर ये भी थी कि जब जीपी सिंह ACB प्रमुख थे, तब भ्रष्ट अफसरों को कार्रवाई का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और रुपए वसूले थे।
जब सरकार ने जीपी से कहा था-आपसे ये अपेक्षा नहीं थी
IPS जीपी सिंह पर राज्य सरकार ने राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति का केस किया था। 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे ACB-EOW की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का इल्जाम भी जीपी सिंह पर लगा था। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही थी। इन तमाम मामलों के बीच 5 जुलाई को राज्य सरकार ने ADG जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी।
जीपी सिंह ने कहा पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस
जब जीपी सिंह को कोर्ट में पेश किया गया था तब उन्होंने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई पर चुप्पी तोड़ी थी और कहा था- ये पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है, मैं शुरू से कह रहा हूं। नागरिक आपूर्ति निगम की जांच कर रहा था, तब गवाहों को हॉस्टाइल करने कहा गया, इस मामले में रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने कहा गया।
जांच में सहयोग न करने के सवाल पर जीपी सिंह ने कहा था मैंने खुद कहा है, रिमांड जितनी चाहिए ले लो, और 15 दिन चाहते हैं तो ले लो। मुझपर दर्ज FIR गलत है, जो संपत्ति मेरे नाम बताई जा रही है वो मेरी नहीं है,उन्होंने तब कहा था कि ये पूरा केस फैब्रीकेटेड (रचा हुआ) है।