Nari Shakti: आदिवासी महिलाओं की जिंदगी का आर्थिक अंधियारा दूर कर रहीं ज्योति
जबलपुर. घर के कामों के बीच भी महिलाएं सशक्तीकरण की राह चुन सकती हैं, बस उन्हें खुद की योग्यता समझने की देर है। वे ना सिर्फ स्वयं को आर्थिक मजबूत बना सकती हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार की राह बना सकती हैं। मैंने भी आदिवासी महिलाओं के जीवन में आर्थिक संकट दूर करने की एक पहल की, जिसमें काफी चुनौतियों के बाद सफलता मिली। ज्योति ने बताया कि सामान्य गृहिणी से बिजनेस वुमन तक का सफर तय करना वर्षों की मेहनत का फल है।
ज्योति बताती हैं कि वे हैचरी फार्मिंग करती हैं और आदिवासी महिलाओं को चूजे बांटती हैं। 20 साल में उन्होंने शहर के आसपास के कई जिलों में आदिवासी महिलाओं को व्यापार के जरिए आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का काम किया है। वे देसी किस्म के मुर्गे-मुर्गियों के चूजे पैदा करती हैं, जिनका पालन कर उससे अच्छा बिजनेस हो जाता है।
कम संसाधनों से किया शुरू
ज्योति ने बताया, समाज का नजरिया महिलाओं को लेकर अभी भी संकुचित है। 20 साल में जीवन के उतार-चढ़ाव, संघर्ष और चुनौतियों के बीच बिजनेस को बढ़ा रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने मुर्गी की प्रजातियों के नाम रखें हैं। ज्यादातर निधि और सोनाली नाम की मुर्गी से दो प्रजातियों के चूजे तैयार हो रहे हैं। वे कड़कनाथ मुर्गी के चूजे भी तैयार करती थीं। हैचरी में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर वे हर महीने 30 हजार तक चूजे तैयार करती हैं। इन चूजों को जबलपुर, मंडला, सिवनी, डिंडौरी के आदिवासी इलाकों में महिलाओं को देती हैं, जिससे वे इस व्यवसाय से जुड़ सके।
ज्योति आदिवासी महिलाओं को चूजों के साथ आदिवासी महिलाओं को दाना भी देती हैं। साथ ही मुर्गीपालन की ट्रेनिंग भी प्रदान करती हैं। ज्योति बताती हैं, पहले सरकारी सहयोग मिलता था, लेकिन 5 साल से वे स्वयं के स्तर पर इसे चला रहीं हैं। ज्योति के पिता रामलाल जैसवाल वेटरनरी डिपार्टमेंट में थे। बचपन से वे पिता के काम को देखती रहीं, इसलिए कॉमर्स की पढ़ाई के बावजूद भी उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।