‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ के 100 साल पूरे.. क्रांतिकारी ट्रेन डकैती से हिल गए थे अंग्रेज, फिर…
नई दिल्ली. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ के 100 साल पूरे होने पर एक साल के शताब्दी समारोह में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों को याद किया जाएगा। समारोह का उद्घाटन गुरुवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में होगा। इसके बाद देश में विभिन्न जगह नौ अगस्त, 2025 तक कई कार्यक्रम होंगे। समारोह की रूपरेखा दिल्ली के सभ्यता अध्ययन केंद्र ने बनाई है।
केंद्र के निदेशक रवि शंकर ने बताया कि अंग्रेज शासकों की भारतीयों से वसूली व लूट को लेकर नौ अगस्त, 1925 को क्रांतिकारियों ने लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन के पास अंग्रेजों के खजाने वाली सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन पर हमला किया था। इस घटना ने अंग्रेजी शासन को चुनौती देकर हिला दिया था। इसलिए सीसीएस ने काकोरी सशस्त्र प्रतिरोध की शताब्दी को समारोह का स्वरूप देने का फैसला किया।
क्रांतिकारियों ने काकोरी के पास ट्रेन रोककर 4679 रुपए, एक आना और छह पाई की लूट की थी। उस जमाने में यह बड़ी रकम थी। अंग्रेजी हुकूमत ने 29 क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाया। इनमें से चार राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह को फांसी, जबकि दो को कालापानी की सजा दी गई। मुकदमे पर अंग्रेज हुकूमत के करीब आठ लाख रुपए खर्च हुए थे।
जर्मनी की माउजर पिस्तौलों का इस्तेमाल
काकोरी ट्रेन एक्शन का मकसद ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष के लिए हथियार खरीदना था। इस हमले में जर्मनी की चार माउजर पिस्तौलों का इस्तेमाल किया। इनमें बट के पीछे लकड़ी का कुंदा लगाकर रायफल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता था। इस घटना को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सिर्फ दस सदस्यों ने अंजाम दिया था।