मीरा ने बेलमेटल को इस तरह दिया नया रूप , सीखा था पूर्वजों से
CG Bastar News : कोंडागांव के भेलवापदर वार्ड में रहने वाली मीरा ठाकुर ने अपने पूर्वजों से सीखी कला को ऐसा आकार दिया कि पूरे राज्य में मीरा की एक अलग पहचान बनी और उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया गया। शादी के बाद मीरा, घर के कामों में ही अपना पूरा समय गुजार देती थी, लेकिन पति की मौत के बाद और घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए मीरा ने अपने पूर्वजों से सीखे काम को शुरू किया और बेलमेटल को नया रूप दिया। अपने घर-परिवार के लोगों को इस कला में पारंगत करने बाद अब वह इलाके के लोगों को भी इस कला से जोडऩे में लगी हुई है। खास कर महिलाओं को इस काम से जोड़ रही है।
कला ही जीने का सहारा
मीरा कहती हैं कि, किसी के हाथ में यदि कला है तो वह कभी भूखे नहीं रह सकता, उसकी कला उसे पहचान दिलाने के साथ ही बेहतर जीवन भी देती है। मीरा इलाके की इकलौती महिला है जिसे राज्य सरकार ने उसकी कलाकारी के लिए पुरस्कृत किया है। उन्होंने बताया कि, यह कला उन्होंने अपने पिता से सिखी थी, जो पति के मौत के बाद उनकी जीवन यापन का सहारा बनी। यही नहीं इसी परंपरागत चली आ रही कला ने ही उसे देशभर में एक अलग पहचान दिलाई है।
कई राज्यों में दे चुकी प्रशिक्षण
मीरा कनार्टक, केरल, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश के कई राज्यों के लोगों को इस कला की बारिकियां उन तक पहुंचकर सिखा चुकी है। इसके साथ ही उनके बनाए गए बेलमेटल के विभिन्न प्रकार के आर्ट देश के साथ ही विदेशों में भी डिमांड के आधार पर भेजी गई है। वह कहती है कि, अपनी पूवर्जों से चली आ रही कला संस्कृति को हर व्यक्ति को संजोय रखना चाहिए, क्योंकि यही उनकी असली पहचान व धन है।