हार ना मानने का जज्बा… तालिबान के कारण देश छोड़ा, अब पेरिस ओलंपिक में दिखाएंगी दम
पेरिश. मनीझा तलाश और कीमिया युसुफी ये दोनों ही महिला खिलाड़ी पूरे अफगानिस्तान के लिए एक मिसाल बन गई हैं। अपने सपने को पूरा करने के लिए इन दोनों ने देश छोड़ा और अब पेरिस ओलंपिक में अफगानिस्तान के लिए पदक जीतना चाहती हैं। तालिबान के महिलाओं के प्रति बर्ताव के कारण इन दोनों ने अपना घर छोड़ना ही मुनासिब समझा। ये अपने जैसी अन्य अफगानी महिलाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ बड़ा करना चाहती हैं जिससे उन्हें भी पहचान बनाने का एक अवसर मिल सके। आइए जानते हैं इनकी संघर्षभरी कहानी…
paris olympics: टोक्यो ओलंपिक के बाद नहीं जा सकीं घर
कीमिया का यह तीसरा ओलंपिक है, लेकिन पेरिस ओलंपिक उनके लिए खास है। कीमिया 2021 टोक्यो ओलंपिक में अफगानिस्तान की ध्वजवाहक थी, लेकिन उसके बाद वे अपने घर नहीं जा सकीं। तब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। 28 वर्षीय कीमिया ने तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद ईरान में शरण ली थी। उसके बाद ओलंपिक आंदोलन में समझौते के तहत एक साल बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था, जहां उन्होंने अपनी ट्रेनिंग जारी रखी और ओलंपिक का टिकट कटाया। वे पेरिस ओलंपिक में छह सदस्यीय अफगानी दल का हिस्सा हैं।
रिफ्यूजी टीम में मिला मौका
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने पेरिस खेलों के लिए मनीझा को शरणार्थी दल में शामिल करके उनका जीवन हमेशा के लिए बदल दिया। शुरुआत में मनीझा काबुल के एक ब्रेक-डांसिंग क्लब में लड़कों के साथ प्रशिक्षण लेती थीं। उनका डांसिंग क्लब हालांकि जल्द ही बमबारी का शिकार बन गया। तालिबान के आने के बाद महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों को खत्म कर दिया।
स्पेन में शरणार्थी बन कर रहीं
21 साल की मनीझा वर्ष 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद किसी तरह पाकिस्तान पहुंची और फिर इसके एक साल बाद शरणार्थी के रूप में स्पेन में बस गईं। वहां उन्होंने एक ब्यूटी सेलून में काम किया और सप्ताह में एक दिन डांस का अभ्यास किया करती थीं। इतनी कठिनाइयों के बावजूद मनीझा ने ब्रेक-डांसिंग को नहीं छोड़ा। मनीझा ने इस कला को काबुल में एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से देखा था और तब से ही वह इसकी दीवानी हो गई थीं।
अपना सपना जी रही हूं
मैं अपने सपने में जी रही हूं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरा सफर इतना खूबसूरत होगा। अफगानिस्तान में रहने वाली हर लड़की मेरी आदर्श है। मैं बस यही चाहती हूं कि वे भी खुल कर जी पाएं। -मनीझा तलाश
अफगानी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करूंगी
कीमिया 100 मीटर दौड़ में हिस्सा लेंगी। उन्होंने कहा, अपने देश का फिर से प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात है। मैं अपने देश की उन लड़कियों के टूटे हुए सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती हूं जो शिक्षा जैसे मौलिक अधिकारों से भी वंचित रह गई, जिन्हें पार्क जाने की इजाजत तक नहीं है।