She News: नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को करती हैं जागरूक
24 साल पहले जब मेरी बेटी हुई तब देखा कि समाज और रिश्तेदारों ने बधाई के गीत न गाकर नकारात्मक गीत गाए थे। तब मैंने सोचा कि मैं जेंडर समानता पर काम करूंगी। लड़के हों या लड़कियां सभी को समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए। शुरुआत स्लम एरिया में जाकर की, क्योंकि वहां की स्थिति ज्यादा खराब थी। लड़कियों को पढ़ाई से वंचित रखकर उनकी कम उम्र में शादी की जा रही थी। यह कहना है भोपाल की रहने वाली कुमुद सिंह का, जो पिछले 24 साल से जेंडर इक्वलिटी पर काम कर रही हैं।
मुश्किलों का सामना
जब भी हम फील्ड में जाते हैं तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग समानता की बात सुनकर लड़ने को तैयार हो जाते हैं तो कुछ बोलते हैं कि आप हमारे बच्चों को बिगाड़ रहे हो। इस समय ईगो को साइड में रखकर पेशेंस से काम लेना पड़ता है। जब मैं और मेरी 4 साल की बेटी चौराहे पर नुकक्ड़ नाटक करते थे तब लोग पागल बोलते थे, पर कभी उनकी बातों को दिल से नहीं लिया।
असिस्टेंट प्रोफेसर की छोड़ी जॉब
कुमुद ने बताया कि समाज के लिए काम करने की ललक बचपन से ही थी। शादी के बाद असिस्टेंट प्रो. की जॉब छोड़कर पूरी तरह इस काम में आ गईं। शुरू में 25 लड़कियों का ग्रुप बनाया और उनके लिए काम किया। अब हमारी टीम शहरों में चौक-चौराहे, झुग्गी-झोपड़ी, स्कूल-कॉलेज में जाकर लोगों से बातचीत करती है, ताकि बेटियों के महत्व को बताया जा सके। अभी तक हमने लगभग 150 लड़कियों की लाइफ में सुधार लाया है। हर साल लड़कियों पर लिखी कविता की प्रतियोगिता आयो -जित करते हैं, जिसमें देश-भर के लोग हिस्सा लेते हैं।