बिजली बिल बढ़ने से छत्तीसगढ़ की कई फैक्ट्रियां कल हो जाएगी बंद! लोहा कारोबारियों ने जताया विरोध
छ्त्तीसगढ़ में बिजली की बढ़ी हुई दर को लेकर लोहा कारोबारियों ने विरोध जताया है। इसके चलते उत्पादन लागत बढ़ने से 10 फीसदी फैक्ट्रियों के बंद होने की आशंका जताई है। इससे जुडे़ अन्य सहयोगी फैक्ट्री और इसकी चेन से जुडे़ कारोबार पर असर पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया की एक तरफ बिजली के बिल में इजाफा किया गया है। वहीं दूसरी तरफ डिमांड नहीं होने के कारण बाजार में मंदी छाई हुई है।
स्टील और सरिया की कीमतों में आई कमी
उठाव नहीं होने के कारण स्टील और सरिया की कीमतों लगातार कम हो रही है। वहीं प्रोडक्शन लागत बढ़ने के कारण कारोबारियों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। राज्य सरकार द्वारा जल्दी ही निर्णय नहीं लेने पर फैक्ट्री को बंद करने और प्रोडक्शन कम करने की नौबत आ सकती है। बता दें कि प्रदेश में लोहा एवं स्पंज आयरन की 650 फैक्ट्रियां है। जहां 10000 ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और 50000 से ज्यादा अप्रत्यक्ष रूप से जुडे़ हुए है।
टैरिफ कम करने की मांग
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने फैक्ट्रियों को तालाबंदी से बचाने के लिए बिजली के टैरिफों को कम करने की गुहार लगाई है। इसे लेकर वह सोमवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेंगे।
रोजाना 15 लाख टन प्रोडक्शन
प्रदेशभर में लोहा एवं स्पंज आयरन की फैक्ट्रियों में रोजाना 15 लाख टन का उत्पादन होता है। इसमें 15 फीसदी प्रदेश में और 85 फीसदी दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। इसके निर्माण में पहले 10000 रुपए प्रति टन की लागत आती थी। लेकिन, बिजली की बढ़ी हुई दर के चलते 12500 रुपए प्रति टन खर्च करना पड़ रहा है।
इसके चलते उन्हें प्रति टन 2500 रुपए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। कारोबारियों का कहना है कि पहले उन्हें 5.75 पैसा प्रति यूनिट बिजली की आपूर्ति हो रही थी। लेकिन टैरिफ बढ़ने के कारण 6.75 रुपए प्रति यूनिट देना पड़ रहा है। इसके चलते नुकसान उठाना पड़ रहा है।