मिलिए प्रदेश की पहली और एकमात्र वेदमति शैली में पंडवानी गाने वाली प्रभा से
सरंक्षित करने में लगी है अपनी शैली को, सरकार का मिले सहयोग तो बच जाएगी लोककला
रायपुर। पंडवानी के भीष्म पितामाह झाड़ूराम देवांगन की शिष्या प्रभा यादव कहती हैं कि प्रदेश में वो एकमात्र वेदमति शैली में पंडवानी गाने वाली लोकगायिका है। पंडवानी के पूरे 18 प्रसंगों को सुनाने वाली रायपुर के चंद्रखुरी फार्म की निवासी लोक गायिका प्रभा यादव किसी परिचय की मोहताज नहीं, लेकिन आर्थिक बदहाली के कारण अब वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है। अभी कुछ साल पहले ही प्रभा ने पूरे 50 घंटे तक पंडवानी के 18 प्रसंगों को गाकर सुनाया जो एक संस्था द्वारा रिकार्ड किया गया। रोज 10 घंटे गाने के बाद 5 दिनों में पूरे 18 प्रसंग पूरे हुए जो अपने आप में एक बड़ा रिकार्ड है।
यूं तो छत्तीसगढ़ में प्रतिभाशाली कलाकरों की कमी नहीं। गांव में कलाकारों की टोली है जिन्हें आज कोई नहीं जानता। प्रभा कहती हैं कि कला संस्कृति के सरंक्षण की बात सरकार करती है लेकिन कला के आधार को ही सरकार ने बदहाली के दलदल में डाल दिया है। जिन कलाकारों का नाम हो जाता है बस वे ही हर कार्यक्रम में नजर आते है। कलाकारों की दशा और दिशा के लिए सही प्रबंधन की जरूरत है और सरकार इसे अनदेखा कर रही है।
हर पल अपनी कला में जीने वाली प्रभा कहती हैं कि अब युवा पीढ़ी का रूझान पंडवानी में नजर नहीं आता। सरकार यदि इस दिशा में हम कलाकारों का साथ देंगी तभी यह कला जीवित रह सकती है। पहले हम बहुत कार्यक्रम करते थे, लेकिन अब ऐसा माहौल नहीं है। संस्कृति को जानने का माध्यम है पंडवानी, 9 साल की उम्र से पंडवानी टोली में शामिल होने वाली प्रभा कहती है कि पंडवानी में द्वापरयुग की कथा है और आने वाली पीढ़ी को इस कथा के जरिए ही हम भारतीय संस्कृति से परिचित करा सकते है। गुरु शिष्य परंपरा के तहत उन्होंने तीन लड़कियों को पंडवानी का ज्ञान दिया था, लेकिन वे चाहती है कि छोटे बच्चों को भी इसकी जानकारी होना चाहिए और यह सब सरकार के सहयोग से ही संभव हो सकता है।
38 साल गुजर गए अब यहीं मेरा जीवन है
पंडवानी कला को जीने वाली प्रभा ३८ सालों से पंडवानी गा रही है। इस दौरान उन्हें कई बड़े मंच मिले, सम्मान मिला, लेकिन अब वो दिन याद आते है और कोरोना ने तो लोक गायिका को पूरी तरह निराश कर दिया लेकिन वो उतने ही जोश के साथ फिर से पंडवानी को लोगों के सामने लाने के लिए उठ खड़ी होती है। वो कहती है कि पूरे प्रदेश में मैं ही एकमात्र पंडवानी गायिका हूं जो वेदमति शैली में पंडवानी गाती है।