बजट भाषण में मंत्री ने सुनाया हरिवंश राय बच्चन, नेल्सन मंडेला, अटल और केदार परिहार की कविता
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने विष्णुदेव साय सरकार का पहला बजट पेश किया। बजट भाषण में मंत्री ने 10 आधार स्तंभ के जरिए प्रदेश के विकास की बात कही, साथ ही हरिवंश राय बच्चन, नेल्सन मंडेला, अटल और केदार परिहार के बानी का जिक्र करते हुए छत्तीसगढ़ का विकास और सरकार की भावनाओं को प्रस्तुत किया। आखिर में प्रभु श्रीराम के श्लोक “राम काज कीन्हे बिनु हमें कहाँ बिश्राम।” के साथ बजट पेश किया। 1 लाख 47 हजार 500 करोड़ के बजट में विष्णु सरकार ने सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है। चलिए आपको बताते हैं…
वित्त मंत्री ने बजट भाषण की शुरुआत हरिवंशराय बच्चन की कविता के साथ शुरू किया.. कहा कि हमें स्वर्गीय बच्चन जी की इन पंक्तियों का स्मरण कराता है..
पर किसी उजड़े हुए को फिर बसाना कब मना है,
है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है।
गिनाए बजट के 10 स्तंभ
- GYAN % हमारे आर्थिक विकास के केन्द्र बिन्दु
(Focus of our Economic Development) - तकनीक आधारित रिफॉर्म और सुशासन से तीव्र आर्थिक विकास
(Rapid Economic Growth through Technology driven Reforms Governance) - तमाम चुनौतियों के बीच अधिकाधिक पूंजीगत व्यय सुनिश्चित करना
(Maximum CAPEX) - प्राकृतिक संसाधनों का उचित इस्तेमाल
Optimum utilisation of Natural Resources - अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र की नयी संभावनाओं पर जोर
Emphasis on new possibilities of service sector of the economy½ - सरकार की सारी क्षमताओं के अतिरिक्त निजी निवेश भी सुनिश्चित करना
(Ensuring private investment) - बस्तर-सरगुजा की ओर भी देखो
(Focus on Bastar-Surguja) - DDP: डिसेंट्रेलाइज्ड डेवलपमेंट पॉकेट्स
(DDP : Decentralized Development Pockets) - छत्तीसगढ़ी संस्कृति का विकास
(Promoting Chhattisgarhi Culture)
10.क्रियान्वयन का महत्व
(Importance of Implementation)
अलग क्षेत्रों के लिए घोणनाएं करते हुए वित्त मंत्री ने नेल्सन मंडेला को याद किया। उन्होंने जो कहा था उसे वित्त मंत्री ने बजट में पढ़कर सुनाया कहा कि ” Destroying any nation does not require the use of atomic bombs or the use of long range missiles. It only requires lowering the quality of education and allowing cheating in the examinations by the students.”
अर्थात् “किसी देश को तबाह करने के लिये बम, बारूद और मिसाईल की जरूरत नहीं होती। शिक्षा की गुणवत्ता को खराब कर देना और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार ही किसी देश को बर्बाद करने के लिये पर्याप्त होता है”।
इसके बाद कुछ और घोषणाएं करने के बाद वित्त मंत्री ने छत्तीसगढ़ी में मुंगेली जिला के रहैया केदार परिहार के बानी म ये बात कहीस हे..
मरके देवलोक झन जातेंव, कान्हु जनम झन पातेंव।
छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर, मैं छानही बन जातेंव।।
बजट भाषण के बीच में मंत्री ने हितोपदेश में एक श्लोक भी पढ़ा-
‘‘उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।’’
वित्त मंत्री चौधरी ने अटल बिहारी वाजपेयी की इस कविता को पढ़कर सुनाया
भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह जीता जागता राष्ट्र पुरुष है।
ये वंदन की धरती है, ये अभिनन्दन की भूमि है।
ये अर्पण की भूमि है, ये तर्पण की भूमि है।
इसकी नदी.नदी, हमारे लिए गंगा है,
इसका कंकर.कंकर, हमारे लिए शंकर है।
हम जिएंगे तो इस भारत के लिए और मरेंगे तो इस भारत के लिए,
और मरने के बाद भी गंगाजल में बहती हुई हमारी अस्थियों को कोई
कान लगाकर सुनेगा, तो एक ही आवाज आएगी –
भारत माता की जय !!
इस बीच मंत्री ने एक और कविता के जरिए छत्तीसगढ़ के प्रति सरकार की भावनाओं को प्रस्तुत किया
गहन-सघन मनमोहक वन तरु, मुझको आज बुलाते हैं
किन्तु किए जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं।
अभी कहाँ आराम बदा, यह मूक निमंत्रण छलना है
अभी तो मुझको, मीलों मुझको, मीलों मुझको चलना है।
आखिर में वित्त मंत्री प्रभु श्रीराम के नाम के और श्लोक “राम काज कीन्हे बिनु हमें कहाँ बिश्राम।” के उपदेश के साथ बजट भाषण समाप्त किया।