Nari Shakti: 2200 हथकरघा डिजाइन्स को किया संरक्षित

पिता की विरासत को संभालते हुए हिमाचल के हथकरघा कारीगरों की जिंदगी संवार रही हैं मंडी की अंशुल मल्होत्रा। 41 वर्षीय अंशुल न केवल हथकरघा कला को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं बल्कि उन्होंने 200 से अधिक महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा है।

अंशुल बताती हैं कि उन्होंने नए-नए प्रयोगों से 2200 डिजाइन्स को संरक्षित किया। वह उत्पाद बनाने में इस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं, जिनसे प्रकृति को नुकसान न पहुंचे। वह कहती हैं कि पहाड़ी इलाकाें की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए हमने उन्हें घर पर ही हाथकरघा उपकरण उपलब्ध करवाए। साथ ही हर सप्ताह महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए प्रोग्राम भी करवाए जाते हैं। हथकरघा कला को संरक्षित करने के लिए उन्हें 2022 में राष्ट्रीय नारी शक्ति पुरस्कार मिला। इसके साथ ही 2006 व 2025 में हिमाचल स्टेट अवॉर्ड, 2007 में जर्मनी की ओर से इंटीरियर लाइफ स्टाइल अवॉर्ड भी मिल चुका है।

पिता बने प्रेरणा

वह कहती हैं कि यह काम करने के लिए उन्हें पिता ने प्रेरित किया। उनके पिता हमेशा कहा करते थे कि ‘आप नौकरी करके तो अपने लिए कमा सकते हो, लेकिन कुछ ऐसा काम करो, जिससे आपके काम से सौ लोगों का परिवार चल सके।’ वह बताती हैं कि उनके पिता सरकारी नौकरी करते थे, लेकिन वे बुनकारों के लिए कुछ न कुछ करने के प्रयास में लगे रहते थे। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ कर एक संस्था स्थापित कर पूरी तरह से अपना जीवन इन बुनकारों को रोजगार देने के लिए समर्पित कर दिया। पिता का साथ देते हुए मैंने 2005 में हथकरघा कला के लिए काम करना शुरू किया।

नहीं होता सिंथेटिक

वंचितों के रोजगार के साथ उनका फोकस पर्यावरण पर भी था। इसलिए उन्होंने स्लो फैशन की दुनिया में कदम रखा। वह कहती हैं कि इसमें हमें फास्ट फैशन आउटलेट्स की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। लेकिन क्वालिटी से समझौता नहीं करते हुए हम याक वूल, शीप वूल, रैबिट वूल और कॉटन व प्राकृतिक रंगों के साथ काम करते हैं। जिसमें कोई भी सिंथेटिक उत्पाद नहीं होता।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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