Nari Shakti: ‘जूडो खेल ने मेरा जीवन बदल दिया, मुझे नई पहचान दिलाई’

कोंडागांव. बहुत छोटी थी, तब माता-पिता चल बसे। जीवन की न उस समय इतनी समझ थी और न ही कोई आस। 11 साल की उम्र में बालिका गृह पहुंची। यहां के सकारात्मक माहौल ने जीवन बदल दिया। यहीं मुझे अपनी नई पहचान मिली। जूडो खेल को मैंने अपने जीवन का हिस्सा बनाया। मैं मानती हूं कि पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी बेहद जरूरी है। माता-पिता को समझना होगा कि यदि उनकी बेटी खेल में अपना कॅरियर बनाना चाहती है तो उसे प्रोत्साहित करें।

बराबर अवसर देना जरूरी पेरेंट्स हमेशा अपने बच्चों से पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता कि अच्छे से खेलना। लड़कियों को घर का काम सिखाया जाता है, जिम्मेदारियों के बारे में बताया जाता है, लेकिन उनके अंदर क्या हुनर है, उनके सपनों के बारे में कभी नहीं पूछा जाता। खेल में उन्हें आगे नहीं बढ़ाया जाता। यदि लड़कियों को भी लड़कों की तरह बराबर मौका मिले तो वे भी हर क्षेत्र में सफल हो सकती हैं।

केयरटेकर मैम ने हमेशा प्रोत्साहन दिया

मुझे खेल में अच्छा प्रदर्शन करने का मौका मिला। मेरी केयरटेकर मैम ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया। मैंने बस अपने अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान दिया। पहले इस खेल के बारे में मुझे कोई ज्ञान नहीं था लेकिन अब यह मेरा पैशन बन गया है।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
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