Nari Shakti: पद्मश्री दुर्गा बाई आदिवासी कला को दिला रही पहचान, जानिए उनके बारें में
कभी लोगों के घरों में काम करने वाली दुर्गा बाई व्योम आज एक नामी हस्ती बन गई हैं। भोपाल की दुर्गा बाई को गोंड चित्रकला और आदिवासी कला को आगे बढ़ाने के लिए 2022 में पद्मश्री समान भी मिल चुका है। वह उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं, जो परिस्थिति के कारण अपनी कला को दबा देती हैं। उन्हें 2008 में बच्चों की किताब ‘द नाइट लाइफ ऑफ ट्रीज’ के कारण इटली में बोलोग्ना रागाजी पुरस्कार प्रदान किया गया। वह रानी दुर्गावती राष्ट्रीय अवॉर्ड और विक्रम अवॉर्ड से भी समानित हो चुकी हैं। उन्होंने कई पुस्तकों में चित्रकारी का काम किया है।
150 रुपए से 1.50 लाख रुपए तक का सफर
वह कहती हैं कि लोगों के घरों में काम करने साथ ही वह कच्ची दीवारों पर गोंड भित्ति चित्रकला भी करती थीं। फिर उन्होंने कैनवास शीट पर चित्रकारी करनी शुरू की। जिसके उन्हें 150 से 200 रुपए मिलते थे। कला के आधार पर उन्हें भोपाल संग्रहालय में काम मिला। 1997 में भोपाल में ही भारत भवन में चित्रकारी करने लगीं। अब उन्हें एक पेंटिंग के 3500 से डेढ़ लाख रुपए तक मिलते हैं।