Nari Shakti: जान देकर बचाई 360 यात्रियों की जिंदगी, पढ़ें हौसलों से भरी नीरजा की ये कहानी

नीरजा की उम्र मात्र 22 वर्ष की थी जब उन्होंने अपनी जान देकर अपने विमान में सवार 360 यात्रियों की जिंदगी बचाई थी। हाईजैक यानी मृत्यु की तारीख से ठीक दो दिन बाद 7 सितंबर को उनका जन्म दिन था। उनके इस हौसले पर भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से नवाजा था। अशोक चक्रपाने वाली पहली और सबसे कम उम्र की महिला थीं। नीरजा की बहादुरी को देखते हुए उन्हें तमगा-ए-इंसानियत का खिताब भी दिया है। वहीं अमरीकी सरकार ने भी नीरजा के नाम पर हीरोइन ऑफ हाईजैक और 2005 में जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड का खिताब दिया था।

नीरजा मूल रूप से चंडीगढ़ की थीं। वैसे तो नीरजा भनोट को मॉडलिंग का काफी शौक था पर वे मूल रूप से एयरहोस्टेस थीं। मुंबई से 5 सितंबर 1986 को उड़ान भरने वाली फ्लाइट में उनकी ड्यूटी थी। उसे आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। न्यूयॉर्क जाने वाला यह विमान पाकिस्तान के कराची शहर में हाईजैक हुआ था। तब अपने हौसले और वीरता से नीरजा ने आतंकियों का सामना किया और इमरजेंसी डोर खोलकर यात्रियों की जान बचाई थी। इस प्रयास में उनकी जान चली गई थी।

कराची के जिन्ना एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंड हुई तो कुछ यात्री उतरे, कुछ आगे की यात्रा के लिए सवार हुए। पायलट ने टेकऑफ की तैयारी शुरू की। इसी बीच धड़धड़ाते हुए चार आतंकी विमान में दाखिल हो गए। अब प्लेन में चार आतंकी, 360 यात्री और क्रू मेंबर समेत 379 लोग सवार थे। इन्हीं क्रू मेंबरों में से एक थीं नीरजा भनोट। नीरजा के पास मौका था कि वह भाग सकें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आतंकी अमरीकी नागरिकों को ढूंढ रहे थे। उन्होंने नीरजा को अमरीकी नागरिकों को लाने के लिए कहा। जब नीरजा से पासपोर्ट इकट्ठे करने के लिए कहा तो उन्होंने अमरीकी नागरिकों के पासपोर्ट छिपा दिए और बाकी आतंकियों को थमा दिए। जब आतंकियों ने देखा कि विमान में कोई अमरीकी यात्री नहीं है, तो उनका पारा चढ़ गया। आतंकियों ने अथॉरिटी से बात करते हुए 17 घंटे बिताए। प्लेन में कुछ बच्चे भी थे, जिनकी तबीयत बिगड़ रही थी।

नीरजा भनोट ने मौका पाया और उन बच्चों को लेकर इमरजेंसी डोर की तरफ भागीं। आतंकियों ने जब ये देखा तो बच्चों पर बंदूक तान दी। नीरजा सामने आईं और अपनी पीठ पर आतंकियों की गोली खाई। घायल अवस्था में ही उन्होंने विमान का इमरजेंसी डोर खोल दिया। इमरजेंसी गेट से वह यात्रियों को बाहर निकालती रहीं। आतंकियों ने भी गोलीबारी शुरू कर दी। इसमें 100 से अधिक लोग घायल हुए। 18-19 लोगों की मौत हो गई, लेकिन तकरीबन 360 लोग सकुशल बच गए।

Sarita Tiwari

बीते 24 सालों से पत्रकारिता में है इस दौरान कई बडे अखबार में काम किया और अभी वर्तमान में पत्रिका समाचार पत्र रायपुर में अपनी सेवाए दे रही हैं। महिलाओं के मुद्दों पर लंबे समय तक काम किया ।
Back to top button