Nari Shakti: वैज्ञानिक ने वायरस से ठीक किया खुद का ब्रेस्ट कैंसर
जाग्रेब. हौसला और खुद पर भरोसा हो तो कैंसर जैसी बीमारी भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती। क्रोएशिया की 49 वर्षीय बीटा हैलासी ऐसी ही बहादुर वायरोलॉजिस्ट (विषाणु वैज्ञानिक) हैं, जिन्होंने अपनी लैब में विकसित वायरस का इंजेक्शन लगाकर खुद का कैंसर ठीक कर लिया। पिछले चार साल से वह कैंसरमुक्त हैं। इस प्रयोग से बीमारी फैलाने वाले वायरस से कैंसर की रोकथाम की दिशा में नई उम्मीद जगी है।
खुद पर वायरस का सीधा प्रयोग कर हैलासी उन वैज्ञानिकों की सूची में शामिल हो गई है, जिन्होंने इस तरह के जोखिमभरे प्रयोग किए हैं। हालांकि तीसरे चरण के स्तन कैंसर के बावजूद खुद पर इस जोखिमभरे परीक्षण ने नैतिकता पर बहस भी छेड़ दी है। क्रोएशिया में जाग्रेब यूनिवर्सिटी की वायरोलॉजिस्ट हैलासी को ब्रेस्ट कैंसर होने पर बायां स्तन हटा दिया गया था, लेकिन 2020 में फिर उसी जगह कैंसर हो गया।
हैलासी ने तय किया कि वह कीमोथैरेपी से इलाज नहीं कराएंगी। अध्ययन कर खुद अपना इलाज करेंगी। हैलासी ने अपने कैंसर को खत्म करने के लिए दो तरह के वायरस इस्तेमाल किए। एक खसरा वायरस और दूसरा वेसिकुलर स्टोमेटाइटिस वायरस। दोनों वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, जिनसे ट्यूमर बना।
हैलासी ने वायरस को सीधे ट्यूमर में इंजेक्ट किया। कैंसर विशेषज्ञों ने उनकी निगरानी की, ताकि हालत बिगड़ने पर आगे के दुष्प्रभावों को देखते हुए उपचार रोका जा सके। हालांकि उपचार के दौरान कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं दिखे। ट्यूमर का आकार काफी कम हो गया। वह छाती की मांसपेशियों और त्वचा से अलग हो गया। इसे सर्जरी के माध्यम से हटाया जा सका।
ओवीटी थेरेपी से इलाज
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हैलासी ने अपने ब्रेस्ट कैंसर का उपचार ऑन्कोलिटिक वायरस थेरेपी (ओवीटी ) की मदद से किया। ओवीटी थैरेपी वायरस का इस्तेमाल कर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। अब तक ओवीटी के ज्यादातर क्लिनिकल ट्रायल अंतिम चरण के कैंसर रोगियों पर किए गए थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह ट्रायल शुरुआती चरण के कैंसर रोगियों पर भी किए जाने लगे हैं।