Nari Shakti: तितली की प्रजातियों को बचाने के लिए रिसर्च कर रहीं श्रद्धा
पर्यावरण संरक्षण में तितलियां अहम किरदार निभाती हैं। किसी शहर या क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता का पता वहां मौजूद तितलियों की प्रजातियों से लगाया जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर मैंने भी तितलियों की प्रजातियों की खोज में रिसर्च शुरू की। यह कहना है डॉ. श्रद्धा खापरे का।
वह 2022 से तितलियों के संरक्षण और इनकी प्रजातियों की संख्या जुटाने का काम कर रही हैं। इस रिसर्च के लिए डॉ. श्रद्धा को बेस्ट रिसर्चर और यूएस यूनिवर्सिटी से मानद उपाधि भी मिल चुकी है। वह विज्ञान की छात्राओं को इस तरह के विषय में रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही हैं, ताकि तितलियों को बचाया जा सके।
डॉ. श्रद्घा का मानना है कि शोध सिर्फ डिग्री होल्डर के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने तितलियों के विषय का चुनाव इसलिए किया, ताकि पर्यावरण के लिए यह पुख्ता शोध साबित हो सके। वह कहती हैं जीवन में उन्होंने 200 प्रजातियों को खोजने का लक्ष्य बनाया है। फिलहाल पीएससी की तैयारी भी कर रही हैं।
शोध ऐसा हो, जिसके तथ्य स्पष्ट हों
डॉ. श्रद्धा ने बताया कि रिसर्च के दौरान उन्हें साल 2024 तक 75 तितलियों की प्रजाति मिल चुकी हैं। साल 2010 में इनकी संख्या 62 थी। रिसर्च में 81 साल बाद शहर के बरगी रीजन में जर्मन ब्लू तितली का रेकॉर्ड दर्ज किया। इस उपलब्धि के लिए साल 2021 में यंग रिसर्चर का अवॉर्ड भी मिला। उन्होंने बताया कि वह जबलपुर और मंडला क्षेत्र में अधिक काम करती हैं क्योंकि यह क्षेत्र जैव विविधताओं से घिरे हैं। यह तितलियां आकर्षक होती हैं। लेकिन पर्यावरण बदलाव के कारण यह नष्ट हो रही हैं।