Nari Shakti: लोगों के तानों को चुनौती मानकर छू लिया आसमान

नागौर. मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है, डरने वालों को मिलता नहीं कुछ जिन्दगी में, लड़ने वालों के कदमों में जहान होता है। मैं जब खेल का अभ्यास करती तो लोग ताने देते थे कि लड़की होकर लड़कों वाले काम करती है। खेल छोड़कर सरकारी नौकरी के लिए प्रयास का मन भी बना लिया था, लेकिन पिता ओमप्रकाश भाटी की प्रेरणा से उन तानों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया।
अपनी पहचान बनाएं मैं महिलाओं-लड़कियों से कहूंगी कि चारदीवारी से बाहर निकलकर अपनी राह खुद बनाएं। चारदीवारी की आड़ में अपनी पहचान को दबने न दें। यह सोचकर न बैठें कि समाज आपका साथ देगा, क्योंकि समाज ताने देता है। आपको खुद अपना रास्ता खोजना होगा और आगे बढ़ना होगा।
रुढ़ियों को तोड़ने का हौसला रखें
लड़का-लड़की को समान मानना होगा और समाज की रूढ़ियों को तोड़ना होगा। ‘अगर हाथ-पांव टूट गए तो शादी कौन करेगा?’ जैसी सोच ने कई प्रतिभाओं के सपनों को दबाया है। परिवार का दायित्व है कि बेटियों का साथ दे और उनकी खेल में रुचि को प्रोत्साहित करे। सिर्फ बड़े शहरों ही नहीं, छोटे कस्बों और गांवों में भी अब अच्छे अवसर मिल रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि हर सपने को आकार देने का प्रयास हो।