Nari Shakti: जब तक महिलाएं आगे नहीं बढ़ती, मेरी सफलता अधूरी है : अनुपम मिश्रा दीवान

सेंट लुईस (अमरीका). रायपुर की अनुपम मिश्रा दीवान अभी अमरीका के मिजोरी राज्य के सेंट लुईस शहर में रहती हैं। वे मित्सुबिशी फाइनेंशियल ग्रुप, अमरीका में ग्लोबल वाइस प्रेसिडेंट हैं। वे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में महिला साक्षरता और सशक्तीकरण के लिए किए गए कार्यों के लिए पहचानी जाती हैं। उन्होंने गांव की महिलाओं को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिलाया और आज गांव की महिलाएं अमरीका में अपने बनाए सामान बेच रही हैं। अनुपम मिश्रा दीवान ने भारत में जी20 समिट के दौरान लैंगिक समानता और दिव्यांगता पर सलाहकार रहीं। साथ ही यूनाइटेड एडवाइजरी पैनल में सामुदायिक विकास कार्यक्रमों और मिसौरी के सेंट लुइस में गैर-लाभकारी संगठन के निदेशक मंडल में सेवाएं दी।
महिलाएं नौकरी सिर्फ पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व को बनाने के लिए करती हैं। जब तक मेरे गांव और छत्तीसगढ़ की महिलाएं आगे नहीं बढ़ती तब तक मेरी सफलता अधूरी है। मैं मुरा गांव की बेटी हूं। इसी गांव और प्रदेश ने मुझे इस काबिल बनाया है कि मैं महिलाओं के लिए कुछ कर सकूं। मुझे ऐसा लगता है कि प्राइमरी और मिडिल स्तर की पढ़ाई में बहुत सुधार की आवश्यकता है। खासकर महिलाओं के लिए तो यही कहूंगी कि आपकी पढ़ाई जितनी अच्छी होगी आप उतने अच्छे से खुद को समझ पाएंगी। मेरा ऐसा मानना है कि महिलाओं में वित्तीय समझ के साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता भी जरूरी है।
मुझे भी विरोध सहन करना पड़ा
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं जॉब करना चाहती थी, लेकिन घरवालों की सहमति नहीं थी और परिवार के विरोध के बाद भी मैंने नौकरी की। उस समय मुझे लगा कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है और इनके लिए हमें रास्तों को आसान बनाना होगा। शादी के बाद अमरीका में बस गई। वहां पति का साथ और सहयोग मिला और मैंने आगे पढ़ाई की। महिलाओं के अस्तित्व को बनाने के लिए ही मैंने अस्तित्व महिला साक्षरता एवं सशक्तीकरण संस्थान बनाया और आज प्रदेश के 16 जिलों के 118 गांव के लोगों तक अपने संस्थान के जरिए पढ़ाई के लिए मदद, स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता के साथ ही कई तरह के हस्तशिल्प के प्रशिक्षण कराए।
लड़कियों के लिए मेंटरिंग प्रोग्राम
इंटरनेशनल मेंटरिंग प्रोग्राम के जरिए हम 18 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को कॅरियर की सही दिशा दिखाते हैं, जिससे वे अपने आगे की पढ़ाई के लिए सही दिशा दिखाकर इन्हें कॅरियर के साथ ही आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती हैं। हमारी इस कमेटी में 8 महिलाएं हैं, जो इन लड़कियों को कॅरियर के लिए हर तरह से सहयोग करती हैं।
विदेशों में जाता है सामान
रायपुर, दुर्ग, भाटापारा के आसपास के गांव की महिलाओं और लड़कियों को हमने ब्लॉक पेंटिंग, मधुबनी, पिचवई और वारली पेंटिंग के साथ ही जूट के सामान बनाना सिखाया। अब इन महिलाओं और लड़कियों के बनाए सामान अमरीका में बेचे जा रहे हैं।