नारी शक्ति: महिलाएं हर काल में सशक्त रही हैं, उन्होंने अपना वजूद साबित किया है
बचपन से ही लिखने का शौक रहा, लेकिन कभी कोई लेख प्रकाशित नहीं कराया। अपनी डायरी में आसपास की घटनाओं को लेकर लिखती थी। यह कहना है श्रीदेवी का। वह कहती हैं कि महिलाएं इतनी सक्षम होती हैं कि वे हर परिस्थिति में ढलकर अपने वजूद को साबित कर सकती हैं। इस कारण ही महिलाओं को शक्तिस्वरूपा जैसी संज्ञा दी गई है।
पेशे से शिक्षक-प्रशिक्षक श्रीदेवी ने अपने लिखने के शौक को कभी खत्म नहीं किया और कई काव्य संग्रह लिखे लेकिन प्रकाशन में पहला काव्य ‘हम सब गांधारी हैं’ आया और आते ही इसे प्रशंसा मिली। इसमें गांधारी के जरिए महिलाओं के हुनर और सशक्त व्यक्तित्व के बारे में बताया गया। वह बताती हैं कि गांधारी एक विदुषी महिला थीं। यदि गांधारी आंखों पर पट्टी नहीं बांधतीं तो वह उस समय भी समाज को नई दिशा देतीं और जब आंखों पर पट्टी बांधी तो पति का साथ दिया और साबित किया कि नारी हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेती है।
श्रीदेवी कहती हैं कि शिक्षा लोगों को उम्मीद देती है और इसी से लोगों का जुड़ाव होता है। जो महिलाएं लिख नहीं पातीं, वे अपने कार्यों और वाकपटुता से अपनी बात रखती हैं। हर महिला में जिम्मेदारी का भाव छिपा रहता है। वे अपने इन गुणों के कारण ही हर माहौल को अपने अनुरूप बना लेती हैं। श्रीदेवी कहती हैं कि लोगों को शिक्षा से जोड़ना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यही शिक्षा लोगों को आगे बढ़ने का हौसला देती है।
सोच यह: ‘कल’ को आसान बनाने के लिए आपको ‘आज’ कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
कई महिलाओं को अपने साथ जोड़ा श्रीदेवी के काव्य संग्रह ने कई महिलाओं को उनके साथ जोड़ा, जिससे उनका भी हौसला बढ़ा। उन्होंने कई महिलाओं को उनकी जिम्मेदारी और शक्ति का अहसास भी कराया। श्रीदेवी कहती हैं कि जब वह दसवीं कक्षा में थीं तो उस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी। तब उन पर मैंने कविता लिखी थी जिसे सराहना भी मिली।